नई दिल्ली। यूं तो 2019 के आम चुनाव होने में लगभग एक साल का समय अभी शेष है, लेकिन चर्चायें अभी से चलने लगी हैं कि विपक्ष और सत्ता पक्ष किस तरह से अपनी रणनीति बनाने जा रहे हैं। जहां समूचा विपक्ष एकजुट होने की कोशिशों में लगा है, वहीं
बागपत/नई दिल्ली। पूर्वांचल के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश ऐसा क्षेत्र है जिसने सूबे को सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री दिए हैं। जिस तरह से दिल्ली की राजनीति यूपी से तय होती है, ठीक उसी तरह से चुनावों के दौरान सूबे की सियासी हवा का रुख काफी हद तक पश्चिमी उप्र का वोटर
लखनऊ। उपचुनावों में मिली हार का संदेश बहुत बड़ा है। देश में सरकार के प्रति गुस्सा है। पार्टी के कार्यकर्ता नाराज हैं। किसानों की समस्यायें हल नहीं की जा रही हैं। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। डीजल-पेट्रोल के दाम में आग लगी हुई है। सीमा पर जवान सुरक्षित नहीं हैं।