जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले में एक 8 साल की मासूम बच्ची के साथ अपहरण कर रेप के बाद हत्या की घटना ने हिंद् – मुस्लिम का रंग ले लिया जो देश में सुर्खिंयां बन गई है जिसके बाद राजनीतिक दल अपनी-अपनी सियासी रोटी सेकने में जुट गए। और देश में कैंडल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन कर रहें हैं। हांलाकि इस घिनौने अपराध के लिए आरोपी को कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए । जबकि क्राइम ब्रांच इस मामले में जांच कर रही है और आरोपी भी गिरफ्तार हो चुके हैं। लेकिन हमारा सवाल ये है कि जब किसी मुस्लिम के साथ कोई घटना होती है तो देश में सियासत गर्मा जाती है और सड़कों पर कैंडल मार्च निकाल कर इसका विरोध किया जाता है लेकिन जब किसी हिंदू के साथ कोई अपराध होता है तो वो सिर्फ एक खबर बन के ही रह जाती है। ना ही कोई राजनीतिक दल उसके समर्थन में बोलते है और ना ही कोई विरोध होता है ऐसा क्यों । अब जरा समझते है कठुआ गैंगरेप का पूरा सच दरअसल जिस 8 साल की मुस्लिम बच्ची का अपहरण कर गांव के एक मंदिर में रखने की बात कही जा रही है क्यो वो सच है इसको समझने की कोशिश करते है।
जिस मंदिर में पीड़िता को रखने की बात कही जा रही है वो गांव के बीचों बीच है और वहां काफी कैमरे भी लगे हैं और मंदिर में रोज ब्रह्म मुहर्त में पूजा पाठ होता हैं जबकि 13 तारीख को लोहड़ी का पर्व था और मंदिरों में भीड़ भी रहती है ऐसे में मंदिर में उस मासूम के साथ बालात्कार होता है और किसी को पता नहीं चलता तो क्या 8 दिनों तक मंदिर में पूजा पाठ ही नहीं हुआ ऐसे कई सवाल है जिसका जवाब कश्मीर पुलिस के पास नहीं है। हमारा मकसद इस मुद्दे को भटकाना नहीं है बल्कि आपराधी को फांसी की सजा भी होनी चाहिए लेकिन किसी बेगुनाह को नहीं । वहीं फातिमा का बलात्कार जनवरी के महिने में हुआ था पुलिस के अनुसार उस मासूम के सिर व बदन पर मिट्टी लगी थी जबकि मंदिर के फर्श पर पूरा मार्बल लगा है और जांच में आस पास के मिट्टी से मैच भी नहीं कर रहा सवाल ये भी है कि पूरे मंदिर में एक ही दरवाजा है और छुपने के लिए कोई जगह ही नहीं है तो फिर 8 दिनों तक एक समूस के साथ मंदिर में बालात्कार कैसे हो सकता है । ऐसे में क्या इस मामले की सीबीआई जांच नहीं होनी चाहिए। वहीं अगर बात करे महबूबा सरकार की तो उससे कश्मीर की कट्टर प्रजाती नाराज है महबूबा उन्हे खुश करने में लगी है शायद इसी लिए इस मामले की जांच ऐसे अधिकारी को सौंपी है जिस पर पहले से ही आतंकी संगठनो से सांठगांठ के मुकदमे चल रहें है वहीं एक मासूम बच्ची की लाश के साथ तमाम राजनीतिक दल अपनी रोटियां सेकने में लगे है और मीडिया भी इसे तोड़मरोड़कर हिंदूओं के विरुद्ध दिखाने की कोशिश में लगी है।
हमारे देश की मीडिया क्या देश में कानून पर सियासत और मीडिया का राज चल पड़ा है। ये सवाल इस लिए अहम है क्यो कि पिछले कुछ दशक से अपराध पर सियासत होने लगी है और अपराध करने वाले का जितना विरोध होगा उतनी ही उसे कड़ी सजा मिलेगी इतना ही नहीं ये विरोध धर्म के नाम पर किया जाता है दरअसल हमारे देश में करीब 27 फीसदी मुस्लिम वोटर है जिसे लुभाने के लिए सभी दल उन्हे अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश करते है ऐसे में किसी मुस्लिम के साथ कुछ गलत होता है तो देश के कई नेता उनके पीछे खड़े हो जाते है लेकिन किसी हिंदू के साथ कोई घटना होती है तो उसे नजर अंदाज किया जाता रहा है । तो क्या देश के नेता या कुछ मीडिया को जोड़ने के बजाय इन्हे तोड़ने की कोशिश कर रहें है। और क्या देश के साथ अब विदेशी मीडिया भी हिंदू विरोधी संगठन बनाने की जुगत में लगी है। ऐस कई सवाल हमारे जहन में है जिसका जवाब ना तो किसी दल के पास है और ना ही सरकार के पास ।
हिंद न्यूज के लिए नरेश तोमर की रिपोर्ट