नोएडा। देश के विकास के लिए सामाजिक समरसता जरूरी हैं। इससे ही राष्ट्र समृद्ध, सशक्त और महान बनेगा। समाज में सामाजिक समरसता तभी आएगी जब हम मिलकर इसके लिए प्रयत्न करेंगे। मीडिया इसको आगे बढ़ाए। उक्त बातें गुरुवार को सेक्टर-62 स्थित प्रेरणा जनसंचार एवं शोध संस्थान व प्रेरणा शोध न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘संचार एवं मीडिया कौशल’ विषयक दस दिवसीय कार्यशाला के सातवें दिन ‘सामाजिक समरसता और मीडिया’ विषय पर बतौर मुख्य अतिथि लखनऊ पत्रकारिता एवं जनसंचार संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिन्हा ने कहीं।
श्री अशोक कुमार सिंह ने कहा कि छुआ-छूत और भेद भाव को हटाए बिना देश आगे नहीं बढ़ेगा। मीडिया का मुख्य कर्तव्य लोक जागरण है। वह आम लोगों की प्रवक्ता होती है। समाज से भेद भाव और जातिवाद को हटाना उसका ध्येय होना चाहिए। देश में जातिभेद के कारण ही सामाजिक समस्याएं पैदा होती हैं और ये समस्याएं विषमता को जन्म देती हैं, जिसके कारण संघर्ष होता है। समाज से भेदभाव खत्म करना हमारा कर्तव्य है। हमें गरीबों की भावनाओं को समझना चाहिए। हम सब भारत मां के पूत हैं, यहां कोई अछूत नहीं है। उन्होंने कहा कि समान व्यवहार, समता का व्यवहार होने से ही समरसता आएगी। समरसता की शुरुआत स्वयं से करनी होगी। पाखंडता समाज को बांटती है। मीडिया इसे दूर करने के लिए अपनी भूमिका निभाए।
उन्होंने कहा कि देश की आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता का अहम योगदान रहा। पत्रकारिता के जनक, राजाराम मोहनराय सहित अन्य सुधारकों ने भी अपने सुधार कार्यक्रमों को विस्तार देने तथा जन-जन तक पहुंचाने के लिए समाचार-पत्रों को माध्यम बनाया। लेकिन, आज पत्रकारिता बाजारवाद की गिरफ्त में है। आज पूरा विश्व भारत की और उम्मीद की नजर से देख रहा है। पूरी दुनिया चाहती है कि भारत आगे बढ़े और इसको शिखर तक ले जाने में पत्रकारिता की अहम भूमिका होगी। लेकिन, आज मीडिया टीआरपी के चंगुल में है, उसे इससे बाहर निकलना होगा। उन्होंने आगे बताया कि आज देश की बेटियां हर क्षेत्र में आगे हैं। मीडिया को चाहिए कि ऐसी प्रतिभाओं को आगे बढ़ाए। सेवा, संस्कार, लोक कल्याण, और राष्ट्र भाव को आगे बढ़ना ही पत्रकारिता का धर्म है।
इसी सत्र में टीवी पत्रकार पवन कुमार ने बताया कि शब्द बृह्मा है, शब्दों का हमें सही सृजन करना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि शब्दों के मर्म को अच्छी तरह समझकर उनका प्रयोग अपने लेखन में करना चाहिए। साथ ही, पवन कुमार ने बताया कि टीवी और अखबार के लेखन में भिन्नता होती है। अखबार के लिए आप भारी भरकम शब्दों का प्रयोग अपने लेखन में कर सकते हैं वहीं टीवी के लेखन में बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए। टीवी पर पैनल डिस्कशन के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि पहले इसका विषय तैयार कर लेना चाहिए। अपने उद्बोधन के बाद श्री पवन कुमार ने प्रतिभागियों को टीवी डिवेट का अभ्यास कराया। इसी सत्र में आदित्य देव त्यागी ने मोबाइल से फोटो सम्पादन के बारे में प्रतिभागियों को इसकी बारीकियां बताईं। उन्होंने बताया कि आज सेल्फी का जमाना है। हर किसी के हाथ में मोबाइल है। आपका एक बढ़िया फोटो आपकी खुशियों में इजाफा कर देता है। आप अपनी इच्छा से फोटो की अनूठी सुंदरता प्रदान कर सकते है। बस आपको जरूरी जानकारी होनी चाहिए।
दूसरे सत्र में शुभ्रांशु जी ने ट्विटर के बारे में बताया यह फेसबुक की तरह ही सोशल नेटवर्किंग साइट है। इसके माध्यम से आप अपने विचार एक दूसरे से साझा कर सकते हैं। यह माइक्रो-ब्लागिंग की तरह होता है, जिस पर यूजर अपने विचार व्यक्त कर सकता है।
तीसरे सत्र में ‘नागरिक पत्रकारिता’ विषय पर महेंद्र सिंह परिहार ने प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के इस जमाने में प्रत्येक व्यक्ति नागरिक पत्रकारिता है। मोबाइल इसमें सहायक है। वह इसके माध्यम से खबरों और अनुभवों को तत्काल साझा कर सकते हैं। सामज में जागरूकता पैदा करने की और एक स्वच्छ समाज बनाने की भूमिका केवल पत्रकारों तक ही क्यों सीमित करें? नागरिक पत्रकारिता सभी को विश्वसनीयता के साथ अपनी राय पेश करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। इसके बाद भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। पहले से ही निर्धारित विषय पर प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी बात बढ़िया तरीके से रखी। अतिंम सत्र में प्रतिभागियों ने ‘लोकोक्ति और शब्द’ पर अपने विचार प्रस्तुत किए। अतिथियों का स्वागत व आभार दिवस प्रमुख अरुण कुमार सिन्हा जी ने तथा अलग-अलग सत्रों का संचालन नीता तांबे ने किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर जी, वर्गाधिकारी शिव प्रताप जी, सहित कई लोग उपस्थित रहे।