मुन्ने भारती और यशवंत सिंह होने का फर्क—–
Ndtv के पत्रकार मुन्ने भारती को 2009 से जानता हूँ ,आजकल वो इसलिए चर्चा में है क्योंकि उनको उग्र हिन्दू वादियों ने ‘जय श्री राम ‘ का नारा लगाने को विवश किया ,जानने की बात इसलिए कह रहा हूं कि सिर्फ पिछले साल ही मुझे पता चला की उनका नाम मोहम्मद अथरुदीन है ,मेरे जैसे बहुत सारे लोग है जिनको अब पता चला कि वो मुसलमान है ,उनके नाम से उनके मज़हब का पता नही चलता और काम की निष्पक्षता से उन्होंने कभी चलने नही दिया , बिहार में जब उनको उग्र हिंदू वादियों की भीड़ ने घेर लिया तो उनके पिता के ‘सुन्नती ‘लिबास दाढ़ी और उनकी औरतो के बुर्के से उनके मज़हब की पहचान हुई , मुन्ने भारती बीबीसी को लिखते है कि उन्हें जय श्री राम कहने में कोई परेशानी नही है वो दिल से श्री राम की इज्जत करते है ,मगर कनपटी पर बन्दुक रखकर कहलाने से उन्हें अच्छा नही लगा , इसके बाद उन्होंने राजद के अपने मित्र प्रवक्ता और विद्यायक को बताया , जिन्होंने उन्हें बताया कि वहां कोई गाय को लेकर घटना हुई है ,
मुन्ने भारती गाँव चले गए , पुलिस उनकी मदद के नही पहुंची जबकि शिष्टाचारवश ऐसा होना चाहिए था और ना ही उग्र हिन्दू वादियों पर कोई कार्यवाही हुई ,
इसी दिन एक दूसरी घटना उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में हुई यहाँ के एक पत्रकार यशवंत सिंह ने रेलवे स्टेशन पर अपने नैतिक फ़र्ज़ को समझते हुए कुछ संदिग्ध की सूचना पुलिस कप्तान सोमेन वर्मा को दी ,यह संदिग्ध मंदिर के आसपास टहल रहे थे , एसपी ने कोतवाल को कहा और कोतवाल तुरन्त मौके पर पहुँच गया ,यशवंत सिंह और उनके साथी प्रिन्स को संदिग्ध समझकर कोतवाली में पकड़ लाये , अजब गजब प्रकर्ति के यशवंत सिंह ने अपना परिचय नही दिया , कोतवाली में वो रंग में आ गए ,यशवंत ने कप्तान को फोन कर दिया कि शिकायत वाले ‘टोह ना ‘ हमें धर लाये तोहे कोतवाल , तुरंत सीओ कोतवाली पहुंचे और फिर कप्तान भी , सबने अलग अलग यशवंत सिंह और उनके मित्र से माफ़ी मांगी , यहाँ की तक की कप्तान ने भी , यशवंत सिंह भड़ास के संपादक है , उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट लिखी और पुलिस की इज़्ज़त तार तार कर दी ,अपनी बात में वो पुलिस का रोना धोना पैर पकड़ना सब का जिक्र करते रहे , कुल मिलाकर पुलिस उन्हें कभी भूलेगी नही ,मुन्ने भारती और यशवंत सिंह में एक बड़ा अंतर यह है कि मुन्ने भारती कभी विवाद में नही पड़े और यशवंत सिंह ‘पड़ी लकड़ी ‘ लेते है , उनकी एक किताब जानेमन जेल काफी मशहूर हुई है , अब दोनों की जगह बदल दीजिये ,पहले वाले मामले में यशवन्त सिंह को फिट कीजिये और दूसरे वाले में मुन्नेभारती को यशवन्त सिंह की जगह रिप्लेस कर दीजिये ,अब नये सिनेरियो में देखिये क्या हो सकता है , नाम बदलते ही कहानी बदल जाती है , पात्र पत्रकार ही है।
वैसे शेक्सपियर को गलत साबित हो गए है क्यूंकि नाम में ही सब कुछ रखा है , अब आगे लिखने पढ़ने से ज्यादा विचार करने की बात है …
#notinmyname