Naresh Tomar ——–: पिछले कई दिनों से एक तस्वीर देश के हर व्यक्ति के सामने बार-बार आ रही है। देश के लोगों को आखिर जिस बात का डर सता रहा था वह सामने आ ही गई. कोरोना वायरस जैसी महामारी को देखते हुए भारत में 21 दिन का लाख डाउन लगाया गया है, बस यह चित्र यहीं से अपना दर्द बयां करने लगते हैं। कल रात आनंद विहार बस अड्डे पर जिस तरह लाखों की संख्या में मजदूर अपने घर जाने के लिए इकट्ठा हुए और कुछ प्रवासी मजदुर लगभग 3 से 4 दिन से लगातार पैदल, साइकिल, रिक्शा, से ही लोग अपने घर के लिए निकल पड़े। ताकि वह इस महामारी से बच सकें और अपने घर जाकर अपने परिवार के साथ में अपना पेट भी भर सके.
जो प्रवासी मजदुर दिल्ली जैसे मेट्रो सिटी में अपनी मजदूरी करने के लिए आए थे. वह लगभग लॉक डाउन के बाद खत्म हो चुकी है. अब इनको अपने पेट की भूख तो सता रही है. उससे भी बड़ी पीड़ा यह है कि यह अपने मकान मालिक को कमाई का एक बड़ा हिस्सा हर महीने देते थे। अब इनके पास कमाई का साधन नहीं है तो ऐसे में यह मकान मालिक को किराया भी नहीं दे पाएंगे। एक पेट की भूख दूसरा दबंग मकान मालिक के सामने बिना किराए कैसे रह पाएंगे। यह भी एक भीषण संकट ऐसे प्रवासी मजदूरों के सामने खड़ा होगा था. ऐसी स्थिति की कल्पना कीजिए कि इन प्रवासी मजदूरों के पास ऐसी स्थिति में अपने गांव जाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता।
दिल्ली जैसे शहर में उत्तर प्रदेश,बिहार,मध्य प्रदेश,राजस्थान के प्रवासी मजदूर भारी संख्या में रहते हैं. यह लोग अपने घर जाने के लिए NH का रास्ता पकड़ लिया। पैदल ही घरों के लिए निकल पड़े। मीडिया और टीवी पर ऐसी तस्वीरें आपको हर NH पर मजदूरों के पूरी जमात जाते हुए देखी जा सकती है. अचानक रोजगार छिन जाना और उसके बाद रहने के लिए और खाने के लिए भी कुछ ना बचना यह कल्पना से भी परे है.मीडया हे की वह राज्य को केंद सरकारों पर आरोपी की झड़ी लगा रहा है ,की विदेश से तो अपने देश के लोगो को एयरलिफ्ट करा लिया। पर इन गरीब प्रवासी मजदूरों की कोई सुध नहीं ले रहा। वोट तो यह भी देते है।
मीडया के इन प्रश्नो से ही राजनीति शुरू होती है. दिल्ली सरकार लगातार कई दिनों कह रही है कि हमारी सरकार प्रवासी मजदूरों के खाने और रहने की पूरी व्यवस्था कर रही है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय तो सोशल मीडिया की लाइव डिबेट में सरकार का वह आदेश भी दिखाते दे रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार ने इन प्रवासी मजदूरों की पूरी जिम्मेदारी अपने सर ले रखी है. वहीं वह कटाक्ष करते हुए बीजेपी के लिए कहते हैं कि अब बीजेपी राजनीति कर रही है. कोरोना को लेकर अब सवाल सबके जेहन में यह उठता है।
आखिर दिल्ली सरकार ने जब पूरा राज्य लोक डाउन किया हुआ है तो यह लोग कैसे पूरी दिल्ली पार करने के बाद एनएच पर पहुंचे। आप जत्थे के जत्थे मजदूरों के दिल्ली के चारों तरफ किसी भी NH पर देख सकते हैं. आखिर सरकार की कैसी व्यवस्था थी कि इतने जायदा लोग दिल्ली के बाहर निकले। सरकार को मालूम भी नहीं हुआ दूसरा सबसे बड़ा सवाल लोगों के मन में यह आता है कि जब इन मजदूरों के रहने और खाने की व्यवस्था दिल्ली सरकार द्वारा की गई थी. तो प्रवासी मजदूरो के लिए डीटीसी बस से आनंद विहार तक जाने के लिए क्यों मोहिया कराई गई।
अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्री जैसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्यप्रदेश के शिवराज सिंह, बिहार के नीतीश कुमार, जैसे मुख्यमंत्री जब उनके राज्य के मजदूर जो दिल्ली जिसे राज्यों में मजदूरी करने के कारण गए थे. जिससे यह परवसी मजदुर अपने परिवार का पेट पाल सकें।दिल्ली जिसे राज्यों में बहुत ही मजबूरी देखकर वहां से निकलने लगे. साथ ही लगातार मीडिया में हाईवे पर चलते मजदूरों को दिखा गया. झा के यह मजदुर निवासी है वह कैसी सरकार है जो पूरी तरह फेल हो गई. उसके बाद जो इंतजाम इन तीन राज्यों के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया वह इस तरह था.उन्होंने अपने राज्य के परिवहन अधिकारी को कहा कि आप दिल्ली तक बस की व्यवस्था कीजिए ताकि वह इन प्रवासी मजदूरों को अपने घर तक लाने का काम करें। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्य ने यहां तक किया जो प्रवासी मजदूर अपने गांव में आएंगे उनके लिए अलग से आइसोलेट करने की व्यवस्था गांव से दूर की जाएगी। ऐसी ही योजना लगता है आने वाले समय में बिहार और मध्य प्रदेश में भी लागू होगी।
अब भारत की विडंबना देखिए करोना जैसी महामारी से लड़ने के बजाय देश की पार्टियां आपस में ही राजनीतिक करने लगे हे. शायद ही किसी पार्टी को चिंता होगी कि जो लोग करोड़ों की संख्या में भूखे प्यासे मर रहे हैं उनकी व्यवस्था करने के बजाए राजनीति करना शुरू कर दिया। स्थिति जब और भयानक होगी जिसमें करोना जैसी महामारी को रोकने के लिए एक सोशल डिस्टेंस को चिकित्सा ने कहा है की आप सोसल डिस्टेंस रखे। घर जाते इन प्रवासी मजदूरों के बीच में देश के किसी भी आम नागरिक को सोशल डिस्टेंस जैसा कोई कोई भी नियम नहीं दिखाई देगा। ऎसा इन प्रवासी मजदूरों ने मज़बूरी में किया होगा। उनका भी परिवार हे और उनके मुखिया के जुम्मेदारी हे की किसी भी तरह अपना परिवार को कोरोना जैसी माहमारी से बजाये। तभी उनके दुवारा पैदल अपने घर जाना के फैसला लिया होगा। यह सभी सरकारों को देखना चाहिए था।
ऐसे में करोना जैसी महामारी से लड़ने के बजाय यह सब पार्टी राजनीति कर रही है. संसद का कानून यह कहता है की यह एक प्रोटोकॉल है की उस राज्य की सरकार लोगों का ध्यान रखती जो व्यक्ति किसी भी राज्य का और किसी भी राज्य में रह रहा है. वह अपने राज्य में रहने वाले हर निवासी का स्वास्थ्य, सुरक्षा, कानून, के हिसाब से ध्यान रखेगी और यह प्रोटोकॉल सभी राज्यों में लागू होता है.अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग पार्टी की सरकार है तो यह प्रोटोकॉल दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवालने क्यों नहीं निभाया। दिल्ली सरकार के कार्यकाल में ही आखिर यह प्रोटोकॉल क्यों तोड़ा गया. यह सवाल हमारा नहीं है यह सवाल आज देश के हर व्यक्ति का है.इसका जवाब पार्टी के मुखिया को देना होगा। अब भी वक्त है राजनीति ना करते हुए देश के सभी राज्य और केंद्र सरकार कोरोना जैसी महामारी को रोकने के लिए अलर्ट हो जाए. अगर आप ऐसे ही एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे तो इस महामारी से आपका बचना और इस देश का बचना आसान नहीं होगा।
Naresh Tomar —– Hind News TV ———— 9410767620