अमित कुमार, बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया का अब तक के सबसे बड़े घोटाले जीपीएफ के खाते से शिक्षकों और कर्मचारियों के खून पसीने की कमाई से बचायी हुई रकम उड़ायी गयी है, यह करीब 1अरब 8 करोड़ लगभग 86 लाख का मामला है। इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई थी । इसमें धांधली की शुरुआत की नींव 1994 में आर गणेश के जमाने में हुई थी। आर गणेश उस समय सिटी मजिस्ट्रेट थे ,जिन्हें अतिरिक्त चार्ज जिला विद्यालय निरीक्षक का मिला था।
उस दौरान 379 लोगों को फ़र्जी बताया गया था।जिसमें से 12 मृतक आश्रित जो सही था मग़र 159 आज भी फ़र्जी भुगतान उठा रहे हैं। नियुक्तियों का नियम था कि प्रबन्धक के परिवार या रिश्तेदार नहीं होना चाहिए। हालांकि उसके विपरीत हुआ था।उस दौरान आर गणेश ने माना था कि मेरे ट्रान्सफर के बाद फ़र्जी तरीक़े से मेरा दस्खत बनाया गया था।जिसकी जाँच आई प्रमुख श्रीमती बृन्दा स्वरूप ने 1995 की थी जाँच में माना था कि आर गणेश ने ट्रांसफर के बाद कुछ भुगतान मेरे फ़र्जी हस्ताक्षर से किये गए हैं। ये रिपोर्ट में भी दर्शाया था औऱ माना था फर्जीवाड़ा के बारे में।
वर्ष 2007 में रेवती इण्टर कालेज में फ़र्जी अवैध भुगतान के क्रम में सीबीसीआईडी द्वारा तत्कालीन प्रधानाचार्य एवं अवैधानिक तरीक़े से नियुक्त12 शिक्षक/शिक्षेतर कर्मचारियों पर FIR दर्ज कराया गया पर वो विभाग से मिली भगत करके अभी भी वेतन पा रहे हैं।कही ना कही इस भष्टाचार की नींव औऱ खेल की जड़ रेवती इण्टर कालेज तो नहीं हैं।