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जानिए क्या है? स्वामीनाथन रिपोर्ट, जिसको लेकर किसान रख रहे है मांग

जानिए क्या है? स्वामीनाथन रिपोर्ट, जिसको लेकर किसान रख रहे है मांग

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नई दिल्ली। भारत देश एक कृषि देश कहलाता है, भारत का किसान अपने देश की कृषि से पूरे देश का पेट पालता है मगर आज किसानों की क्या स्थिति है ये बात पूरे देश की जनता जानती है। अपनी मांगों को लेकर किसान दिल्ली में किसान घाट से लेकर संसद तक पहुंचना चाहते थे मगर उन्हें बीच रास्तें में ही रोक लिया गया। और किसानों का आंदोलन पूरी तहर हिंसात्मक हो गया है। किसानों को लेकर उनकी 21 सूत्रीय मांगें है जिसमें सबसे ज्यादा अहम है स्वामीनाथन की रिपोर्ट। आईये जानते है स्वामी नाथन की आयोग की सिफारिशें सरकार ने वर्ष 2004 में स्वामीनाथन आयोग का गठन किया था लेकिन पिछले आठ वर्षों से इस रिपोर्ट को हाशिए पर सरकाया हुआ है। स्वामीनाथन आयोग द्वारा किसानों की स्थिति में सुधार करने तथा दिनों-दिन बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं में कमी लाने के संबंध में निम्नलिखित सिफारिशें पेश की गई।

प्रोफेसर एम एस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है। स्वामीनाथन तमिल राज्य से है स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक वैज्ञानिक है। उन्होनें 1996 में मैक्सिकों के बीजों को पंजाब की घेरलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेंहू के संकर बीज को पूरी तरह विकसित किया गया था।

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें

स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नवंबर 2004 को राष्ट्रीय किसान आयोग बनाया गया. कमेटी ने अक्टूबर 2006 में अपनी रिपोर्ट दे दी।लेकिन इसे अब तक कहीं भी सही तरीके से लागू नहीं किया गया है। दो सालों में इस कमेटी ने छह रिपोर्ट तैयार कीं। इसमें ‘तेज और संयुक्त विकास’ को लेकर सिफारिशें की गईं थी।

अगर 10 दिन तक किसानों का यह आंदोलन चलता है तो शहर में सब्जियों और खाद्य पदार्थ को लेकर संकट खड़ा हो सकता है।किसानों का आंदोलन मुखर होता जा रहा है। बार-बार होने वाले किसान आंदोलनों से अक्सर जेहन में यह सवाल आता है कि आखिरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें क्या थीं जिसे लागू करने की मांग की जाती है।

सिफारिशों की मुख्य बातें…

– फसल उत्पादन मूल्य से पचास प्रतिशत ज़्यादा दाम किसानों को मिले.

– किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज कम दामों में मुहैया कराए जाएं.

– गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाया जाए.

– महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएं.

– किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर किसानों को मदद मिल सके.

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