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हनुमान जी के 5 ऐसे अनोखे रहस्य, ना पढ़ा होगा और न कभी सुना होगा

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बिना हनुमान जी के रामयाण कभी पूर्ण नही मानी जाती। रामायण में राम और रावण के बीच युद्ध में हनुमान जी ही केवल ऐसे योद्धा थे जिन्हे किसी भी प्रकार की क्षति नही पहुंचा पाया था।

आज हम आपको हनुमान जी के बारे में 5 अनोखे रहस्य बताएगें कि आप आश्चर्यचकित होने में मजबूर कर देंगे। इन रहस्यों के बारें में कभी आपने ना पढ़ा होगा और न सुना होगा।

1.हनुमान जी ने लंका दहन में अशोक वाटिका को नही जलाई

बता दें, कि जब हनुमान जी लंका का दहन कर रहे थे तब उन्होंने अशोक वाटिका को इसलिए नही जलाया, क्योंकि वहां सीताजी को रखा गया था। वहीं दूसरी ओर हनुमान जी विभीषण का भवन इसलिए नहीं जलाया, क्योंकि विभीषण के भवन के द्वार पर तुलसी का पौधा लगा था।

2.हनुमान जी का जीवित होना

13 वीं शताब्दी में माधवाचार्य, 16 वीं शताब्दी में तुलसीदास, 17 वीं शताब्दी में राघवेंद्र स्वामी तथा 20 वीं शताब्दी में रामदास।  ये सभी यह दावा करते है की इन्हे हनुमान जी के सक्षात दर्शन हुए है।

हिन्दू धर्म गर्न्थो और पुराणों में यह बताया गया है, की हनुमान जी इस पृथ्वी में कलयुग के अंत होने तक निवास करेंगे। हनुमान सहित परशुराम, अश्वत्थामा, विश्वामित्र, विभीषण और राजा बलि सभी सार्वजनिक रूप से इस धरती पर उस समय प्रकट होंगे जब भगवान विष्णु यहाँ धरती पर कल्कि के अवतार में जन्म लेंगे।

3.क्यो प्रमुख देव है हनुमान

हनुमानजी कई कारणों से सभी देवताओं में श्रेष्ठ मानें जाते है। पहला कारण यह कि सभी देवताओं के पास अपनी-अपनी शक्तियां है- जैसे विष्णु के पास लक्ष्मी, महेश के पास पार्वती और ब्रह्मा के पास सरस्वती। वहीं हनुमानजी के पास खुद की शक्ति है। वे खुद की शक्ति से ही संचालित होते है।

दूसरा कारण यह है, कि वे इतने शक्तिशाली होने के बावजूद ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित है, तीसरा कारण यह कि वे आज भी सशरीर है। इस ब्रह्मांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह है हनुमान जी।

4.हनुमान जी और श्री राम के बीच युद्ध

एक बार हनुमान जी और श्री राम के बीच युद्ध भी हुआ था। जब गुरु विश्वामित्र ने श्री राम को राजा ययाति का वध करने का आदेश दिया था। राजा ययाति अपने प्राण की रक्षा के लिए हनुमान जी की माता अंजना के शरण में गये और उनके द्वारा हनुमान जी से यह प्रण करवाया की वे राजा ययाति की श्री राम से रक्षा करेंगे।

माता के आदेश पर हनुमान जी प्रभु राम से राजा ययाति की रक्षा करने गए। हनुमान जी ने किसी अस्त्र-शस्त्र से लड़ने के बजाए प्रभु राम के नाम का जप करना शुरू कर दिया। राम ने हनुमान जी पर जितने बाण चलाए वे सभी व्यर्थ गए। अंत में विश्वामित्र सहित सभी हनुमान जी की राम के प्रति श्रद्धा भक्ति देख कर आश्चर्यचकित रह गए और विश्वामित्र ने राम को युद्ध रोकने का आदेश देकर राजा ययाति को जीवन दान दे दिया।

5.कुंती पुत्र भीम और हनुमान जी भाई थे

श्री राम का जन्म 5111 ईसवी पूर्व में हुआ था, जबकि  हनुमान जी का जन्म श्री राम के जन्म से कुछ वर्ष पूर्व हुआ था। हनुमान जी और भीम के जन्म में लगभग 2002 वर्षो का अंतर है।

अब आप सोच रहे होंगे की हनुमान जी और भीम दोनों आखिर भाई कैसे हुए। दरअसल हनुमान जी पवन पुत्र है, और कुंती को भीम भी पवन देव के आशीर्वाद से प्राप्त हुए थे। इस मान से दोनों के पिता एक ही है। इस तरह भीम को भी पवन पुत्र कहा जाता है।

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