असम में जहां लाखों लोग बिना नागरिता के रह रहे हैं, वहीं अलीगढ़ में 245 रोहिंग्या शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। इन लोगों को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त नई दिल्ली से शरणार्थी का प्रमाण पत्र भी मिला हुआ है। ये लोग म्यांमार से आए हुए हैं और मेहनत मजदूरी कर परिवारों का भरण पोषण कर रहे हैं। अलीगढ पुलिस व खुफिया विभाग के रिकार्ड में जिले में रोहिंग्या के अलावा किसी देश का नागरिक शरणार्थी के रूप में नहीं रह रहा। म्यांमार से आए 245 लोग सासनीगेट, कोतवाली, देहलीगेट आदि क्षेत्रों में रह रहे हैं। अलीगढ में ये मामला तब खुला जब एक सामाजिक संस्था से जुड़े व्यक्ति ने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखकर अलीगढ़ में रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे जानकारी देने के लिए कहा। प्रशासन ने पहले तो कुल 23 बांग्लादेशी होने की बात लिखित में शासन को भेजी। आपत्ति के बाद प्रशासन ने दुबारा जो रिपोर्ट भेजी उसमे 35 बांग्लादेशी छात्रों के एएमयू में पढ़ने के अलावा 245 रोहिंग्या मुसलमानों के शरणार्थी के रूप में होने की बात मानी है।
में पढ़ने के अलावा 245 रोहिंग्या मुसलमानों के शरणार्थी के रूप में होने की बात मानी है।
दरअसल अलीगढ में सामजिक संस्था आहुति के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने पहले डीएम अलीगढ को एक पत्र के माध्यम से बताया कि अलीगढ में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं। इन लोगों ने अवैध तरीके से अपने राशन कार्ड ,आधार कार्ड इत्यादि भी बनवा लिए हैं। अशोक चौधरी ने मांग की कि ऐसे लोगों के बारे में जांच की जाए। इस से सम्बंधित एक शिकायत अशोक चौधरी ने जन सुनवाई पोर्टल पर भी की। इसके बाद अलीगढ़ प्रशासन की ओर से शासन को जो रिपोर्ट भेजी गई उसमे केवल 23 बांग्लादेशियों का जिक्र था जो वैध वीजा पर AMU में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस रिपोर्ट पर जब अशोक ने आपत्ति उठाई और IGRS पर पुनः शिकायत दर्ज कराई। इस बार जो रिपोर्ट अलीगढ़ पुलिस की तरफ से तैयार की गई उसमें 35 बांग्लादेशी छात्र वैध वीजा पर AMU में बताये गए व 245 रोहिंग्या मुसलमानों को शरणार्थी के रूप में बताया जो मीट फैक्ट्री,रिक्सा ,मजदूरी इत्यादि काम कर रहे हैं। अशोक चौधरी का दावा है कि यहाँ हजारों की तादाद में रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं जो देश के लिए ख़तरा है और प्रशासन उनको ढूंढने में नाकाम है।
अलीगढ के कोतवाली क्षेत्र के मखदूम नगर में रह रहे इन रोहिंग्या शरणार्थियों ने बताया की हम म्यांमार से 2012 में अलीगढ में आये। उस समय हमारे देश की हालत बहुत ख़राब थी। ये लोग म्यांमार से पहले बांग्लादेश गए और वहां से कलकत्ता के रास्ते देवबंद पहुंचे। फिर काम के सिलसिले में अलीगढ़ आ गए हैं। शरणार्थी महिला नजमा ने बताया की जब तक हमारे देश की हालत ठीक नहीं हो जाती हमें यहाँ रहने दे। हम लोग अपने बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं।
अलीगढ बीजेपी से शहर विधायक संजीव राजा का कहना है कि यहाँ कितने लोग हैं उनको नहीं पता लेकिन यहाँ जो रोहिंग्या रह रहे हैं उनकी जांच कराई जा रही है। हमने विधानसभा में ये मामला उठाया था। अलीगढ में भी कुछ परिवार रह रहे हैं। जल्दी ही इन लोगों की सूची बना कर आवश्यक कार्यवाही कराई जायेगी। पिछली सरकार में कई लोगों के फर्जी वोटर कार्ड बने हैं इसकी जांच हो रही है।
हिंद न्यूज़ टीवी के लिए अलीगढ़ से अजय कुमार