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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग-उन के साथ आने से पूरी दुनिया को परमाणु हमले के डर से राहत तो मिलेगी, साथ ही इन दोनों देश के एक साथ आने से दुनिया के सामने एक नया आर्थिक समीकरण जन्म लेगा, जिससे सीधे तौर पर भारत को ही फायदा होगा। शायद आपको यह बात समझ से परे लगे, पंरतु सच्चाई यही हैं की इस मुलाकात से सीधे तौर पर भारत को फायदा पहुंचेगा। आइए आपको समझाते है कैसे यह समीकरण भारत को फायदा पहुंचाएगा।
नए आर्थिक समीकरण का जन्म
उत्तर कोरिया की आर्थक स्थिती ऐसी नहीं की वो अमेरिका से सामने कोई शर्त रख सके, वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप अमेरिका फर्स्ट की बात करके सत्ता में आए थे जिसमें उन्होंने कहा था की अमेरिका किसी को भी कोई फालतू का एक पैसा भी नहीं देगा। साथ ही अमेरिका में जो रोजगार पैदा होगा उस पर पहला हक अमेरिकियों का ही होगा। जिसके परिणाम यह हुए की अमेरिका ने अपने वर्क वीजा के नियमों में सख्ती करनी शुरू कर दी। जिससे कई अंतरराष्ट्रीय कंपनीया अपने कर्मचारियों को अमेरिका भेजने से परहेज कर रही है। ऐसे में वो कंपनिया उत्तर कोरिया की तरफ रूख करना चाहेंगी क्योंकि अभी वहां व्यापार की असीम संभावना है।
उत्तर कोरिया के तानाशाह के रूख में अगर नरमी आती है, और वो अपने देश के दरवाजे व्यापार के लिए खोलता हैं तो ऐसे में अंतरराष्ट्रीय कंपनीया उसका रूख करेंगी। दक्षिण कोरिया में पहले से ही कई अंतरराष्ट्रीय कंपनी के दफ्तर मोजूद है। उत्तर कोरिया के दरवाजे खुलने से एशिया में जापान, दक्षिण कोरिया, चीन और भारत के दबदबे को खत्म करने क् लिए उत्तर कोरिया एक नये विकल्प के रूप में उभरेगा, हालांकि, इससे इन देशों को कोई खासा नुकसान नहीं होगा। उत्तर कोरिया सबसे ज्यादा कोयला का निर्यात करता हैं।
उत्तर कोरिया ने बड़ी मात्रा में रूस को कोयला निर्यात करता है। कोयला उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था का रीढ़ की हड्डी है। कोयले का निर्यात करने से ही उत्तर कोरिया का विदशी मुद्रा भण्डार भरता है। उत्तर कोरिया इस पर से अपनी निर्भरता खत्म करना चाहेगा साथ ही नए विकल्प तलाशेगा। भारत के लिए उत्तर कोरिया आने वाले दिनें में आर्थिक रणनीति के चलते सबसे अहम है। भारत की कंपनिया जो अपने कर्मचारियों को अभी तक अमेरिका भेजती था वो अब उत्तर कोरिया का रूख कर सकती है। ऐसे में जापान और अमेरिका पर से भारत की निर्भरता कम होगी। साथ ही अगर भारत उत्तर कोरिया को अपने पाले में कर लेता है तो वह एशिया में अपना दबदबा कायम करने की स्थिती में एक कदम और बढ़ा लेगा।