मुजफ्फरपुर। केंद्रीय कृषिमंत्री राधामोहन सिंह के खिलाफ किसानों की हड़ताल पर की गई टिप्पणी पर सोमवार को एक मामला दर्ज किया गया है।
कृषिमंत्री राधामोहन सिंह ने कहा था कि किसानों ने 10 दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है, जो केवल मीडिया में कवरेज पाने के लिए किया जा रहा है।
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए सिंह ने कहा था कि देश में लगभग 12 से 14 करोड़ किसान हैं। किसी भी किसान के संगठन के लिए 1000-2000 किसानों के एक साथ आ जाने पर बहुत आसानी से मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जा सकता है, जिससे कुछ असामान्य हो सके।
इससे पहले, नागपुर में प्रदर्शनकारियों ने राधामोहन सिंह की टिप्पणी के खिलाफ सड़क पर दूध फेंक दिया और स्थानीय लोगों में दूध को वितरित कर दिया जो बर्तन लेकर उनसे दूध मांगने के लिए आए।
1 जून को, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के हजारों किसानों ने देश भर में हड़ताल शुरू की, जिनकी मांग है उनका कर्ज माफ किया जाए, उनकी फसलों के लिए सही मूल्य और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।
मध्य प्रदेश में मंदसौर में किसानों पर फायरिंग करके उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया था, जिसकी पुण्यतिथि के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए किसानों को एकजुट किया गया था। पिछले साल पुलिस गोलीबारी में छह किसान मारे गए थे।
दरअसल, किसानों ने दूध, सब्जियां और आवश्यक कृषि उपज की आपूर्ति बंद कर दी है जिसके कारण कीमतों में बाजारों में बढ़ोतरी हुई है।
इसके साथ ही शनिवार को मध्य प्रदेश में नौ मामले दर्ज किए गए थे और 16 किसानों को गिरफ्तार किया गया था।
गौरतलब है कि कृषिमंत्री ने किसानों के खिलाफ टिप्पणी करने से पहले यह नहीं सोचा कि मोदी सरकार जो किसानों की आय दो गुनी करने प्रति चिंतित है। सरकार किसानों के कर्ज माफ करने की बात भी की थी। किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर निपटाना चाहती है। ताकि किसान खुश रहें, लेकिन सरकार के मंत्री ने ऐसा कह करके किसानों का दिल दुखाया है।