नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार 15वें दिन भी बढ़कर एक नई ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, मुंबई में पेट्रोल के दाम अब सौ रुपये में महज 13.92 रुपये ही शेष रह गए हैं। दिल्ली में पेट्रोल 78 रुपये प्रति लीटर के भाव बेचा जा रहा है। मेट्रोपॉलिटन शहरों में संशोधित पेट्रोल की कीमतें हैं- दिल्ली: प्रति लीटर 78.27 रुपये; मुंबई: 86.08; कोलकाता: 80.76 और चेन्नई: 81.11 रुपये प्रति लीटर पर हैं।
इस बीच, प्रति लीटर डीजल की लागत में भी वृद्धि हुई है और दिल्ली में संशोधित कीमतें 69.17 रुपये और मुंबई में प्रति लीटर 73.64 रुपये हैं।
चूंकि केंद्र सरकार पर हर रोज हमले किए जा रहे हैं, जो ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हो रहा है। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहले जनता को आश्वासन दिया था कि सरकार जल्द ही स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाएगी।
उन्होंने आगे बताया कि पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों (ओपेक) के संगठन में तेल का कम उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि ईंधन की कीमत को प्रभावित करने वाले कुछ कारक हैं।
अप्रैल में, प्रधान ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें माल और सेवा कर के दायरे में पेट्रोलियम उत्पादों को लाने पर विचार कर रही हैं।
बता दें, 2014 में जब नरेंद्र मोदी चुनाव प्रचार कर रहे थे तो उन्होंने कहा था कि जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी तेल की कीमतें अपने आप ही कम हो जाएंगी। संयोगवश कच्चे तेल के दाम अचानक ही एक बार कम हो गए तो उन्होंने कहा था कि मेरे भाग्य से ऐसा हो रहा है। लोगों को इससे भी जलन हो रही है। लेकिन अब किसके दुर्भाग्य से ऐसा हो रहा है। यह बताने वाला अब कोई नहीं है।
तेल के दाम लगातार 15 दिनों से बढ़ाए जा रहे हैं और सरकार इसके लिए कच्चे तेल के बढ़ते दाम को जिम्मेदार ठहराकर अपनी जिम्मेदारी से बच रही है। लेकिन जब कहीं पर चुनाव निकट होते हैं तो सरकार तेल कंपनियों से तेल के दाम में बढ़ोतरी नहीं करने के लिए कह देती है और कंपनियां मान भी लेती हैं, लेकिन जैसे चुनाव खत्म होते हैं तेल के दाम अपने आप बढ़ने लगते हैं और सरार अपने हाथ खड़े कर देती है और कहती है कि इस हमारा नियंत्रण नहीं है। तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार भाव के अनुसार ही तेल के दाम घटाती और बढ़ाती हैं।