चंडीगढ़। कर्नाटक चुनाव में जिस तरह जेडीएस और कांग्रेस की मिली जुली सरकार बनी उससे कुछ उम्मीद हरियाणा में भी जगी है। कांग्रेस के विपक्षी दलों को साथ लाने की मुहिम ने सूबे में राजनीतिक हलचल पैदा कर दी। यहां इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और कांग्रेस अर्से से एकदूसरे के धुर विरोधी हैं। मगर बीजेपी के आ जाने से अब दोनो पार्टियों पर अपने अस्तीत्व का संकट आ गया है। जानकार मानते हैं कि राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता।
मोदी लहर से पहले हरियाणा में बीजेपी हाशिए पर थी। यहां बंशीलाल की पार्टी हरियाणा विकास पार्टी के साथ गठबंधन के वक्त 16 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली जबकि कुल 25 सीटों पर भाजपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। उस वक्त सरकार बंशीलाल की बनी। इसी तरह इनेलो के गठबंधन के साथ बीजेपी ने 14 सीटें जीतीं। सरकार भी दोनों की बनी। उधर कांग्रेस भी विपक्ष में अपनी जमीन तैयार कर रही थी। इनेलो और बीजेपी के बाद गठबंधन के बाद कांग्रेस नें दो बार सत्ता सुख भोगा। मौजूदा कार्यकाल के चुनाव के वक्त मोदी पावर बीजेपी के साथ रहा। मनोहर लाल खट्टर को सत्ता मिल गई। कांग्रेस की हालत खराब हो गई। चुनिंदा सीटें छोड़ दें तो कांग्रेस पूरी तरह से सफाए पर आ गई। मगर अब मामला पेचिदा है। बीजेपी सरकार भी जानती है इस बार कुछ पेंच है। राजनीति में कुछ भी संभव है। यूपी में सपा बसपा संग हो गए। कर्नाटक में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े कांग्रेस और जेडीएस भी आखिरकार एक हो गए। बड़ी पार्टी होते हुए भी भाजपा बहुमत नहीं जुटा पाई। अब विपक्ष भी एक हो रहा है। हरियाणा में भी कांग्रेस इनेलो से हाथ मिला सकती है। इनेलो के नेता व नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला को कर्नाटक सरकार के शपथ ग्रहण में जाने का निमंत्रण मिला। कांग्रेस भी यही चाह रही है। हरियाणा में पहले जैसा हाल न हो इसके लिए कांग्रेस कुछ भी कर सकती है। ऐसे में एक समझौता इनेलो के साथ हो जाए तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं होगी।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए चंडीगढ़ से अभिषेक