कर्नाटक में आज इस्तीफा देने से पहले येदियुरप्पा मे भावुक भाषण देकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिल दी। 19 मई 2018 से जरा पीछे चलते हैं, 1996 में जब 13 दिन की सरकार के मुखिया तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा में कहा था “मैं संख्याबल के सामने सर झुकाता हूं, मैं अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को देने जा रहा हूं”। उस समय भी कांग्रेस के नेताओं के चेहरे पर वही दंभ भरी मुस्कान थी, जो आज कर्नाटक विधानसभा में देखी जा सकती थी। आज कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने जब इस्तीफा देने का ऐलान किया, तो हारी हुई कांग्रेस के चेहरे पर फिर वही 1996 वाला भाव था, वह भाव था जनादेश की हत्या वाला, क्योकि कांग्रेस ने उस जेडीएस से हाथ मिलाया जिसके खिलाफ उसने चुनाव लड़ा। कांग्रेस चुनाव में हारी हुई पार्टी होने के बावजूद सबसे बड़े दल के नेता के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे पर जीत का जश्न मना सकती है।
कांग्रेस के इस जश्न और फितूर को अगर आप समझते हैं, तो आप ये भी समझते होंगे कि अपने इसी आचरण की वजह से आज वह दो राज्यों में सिमट कर रह गई है। तो क्या जनादेश की हत्यारी कांग्रेस ने 1996 से आज तक कोई सबक नहीं सीखा, नेता बदले पर कांग्रेस का चरित्र नहीं बदला, मतलब तो यही निकलता है। लोकतंत्र का हर शुभेच्छु एक परिपक्व एवं मजबूत विपक्ष चाहता है, लेकिन कांग्रेस के लिए विपक्ष शब्द के कोई मायने नहीं है। जहां ये विपक्ष में बैठे हैं, मजबूरी में बैठे हैं। और जहां ये जनादेश की हत्या कर सकते हैं, कर्नाटक की तर्ज पर करते आए हैं, गुलाम नबी आजाद शनिवार को टीवी कैमरों के सामने लोकतंत्र की जीत का दावा कर रहे थे। वह उस सुप्रीम कोर्ट को बधाई दे रहे थे, जिसके मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ उन्होने ही महाभियोग चलाने के लिए पैरवी की थी। वैसे लोकतंत्र कैसे जीता जरा बताएंगे, पहले चुनाव हारे, फिर जनता दल एस के कंधे पर सवार होकर बैकडोर से सत्ता में एंट्री को अगर आप लोकतंत्र की जीत मानते हैं, तो आप गुलाम नबी आजाद से सहमत हो सकते हैं।
आज कांग्रेस की ये दुर्दशा क्यों हुई, इसके लिए एक अजीब प्रतीकात्मक घटनाक्रम उभरता है। दरअसल, 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिन की सरकार के गिरने के बाद यूनाइटेड फ्रंट की सरकार बनी। एच.डी. देवगौड़ा प्रधानमंत्री भी बने, आज कर्नाटक में फिर एक लोकप्रिय सरकार संख्या बल के कुचक्र के सामने नतमस्तक हो गई। और नतीजा देखिए, उन्हीं देवगौड़ा के बेटे एच.डी. कुमारस्वामी अगले मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। पर आप याद कीजिए, यूनाइटेड फ्रंट की सरकार को कांग्रेस ने गिराया था। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी पूर्ण बहुमत से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का नेतृत्व करते हुए प्रधानमंत्री बने थे, तो यह जेडीएस के लिए कही न कही सोचने वाली बात हैं की क्या उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सही किया, क्योकि आजाद भारत के इतिहास में ऐसा कोई वाकिया नहीं मिलता जिसमें कांग्रेस से सर्मथन से कोई सरकार पूरे पांच साल चली हो।
लेखक – नरेश तोमर