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इंदौर में गूंजा शहीद सुशील का शोक, पत्नी का हृदयविदारक दृश्य देख हर कोई हुआ भावुक

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इंदौर:-  पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले सुशील नथानियल का गुरुवार को इंदौर में अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले उनकी अंतिम यात्रा  वीणा नगर स्थित उनके घर से शुरू हुई। उनका पार्थिव शरीर एक विशेष वाहन में नंदा नगर चर्च ले जाया गया, जहां धार्मिक प्रार्थना सभा आयोजित की गई। इसके बाद ईसाई रीति-रिवाजों के अनुसार जूनी इंदौर कब्रिस्तान में उनका अंतिम संस्कार किया गया है। सुशील की अंतिम यात्रा में लोगों का सैलाव उमड़ा, सैकड़ों लोग उन्हें विदाई देने के लिए पहुंचे। उनकी पत्नी जेनिफर ताबूत से लिपटकर बिलख-बिलखकर रोईं। इस दौरान वह बार-बार बेसुध हो रहीं थीं। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई। बता दें कि बुधवार रात करीब 9 बजे उनका पार्थिव शरीर इंदौर एयरपोर्ट पहुंचा था, जहां से उसे उनके निवास वीणा नगर लाया गया। इस दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिजनों के प्रति शोक संवेदना प्रकट की।

सुशील नथानियल 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। वह आलीराजपुर स्थित एलआईसी की सैटेलाइट शाखा में कार्यरत थे। हमले के समय वह अपने परिवार के साथ कश्मीर यात्रा पर थे। वे 18 अप्रैल को पत्नी जेनिफर, 21 वर्षीय बेटे ऑस्टिन गोल्डी और 30 वर्षीय बेटी आकांक्षा के साथ छुट्टियों पर गए थे। 22 अप्रैल को दोपहर करीब 2:45 बजे बैसारन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें 27 लोगों की जान चली गई। इन्हीं में सुशील नथानियल भी शामिल थे।

हमले में सुशील की बेटी आकांक्षा को भी गोली लगी, जो सूरत के बैंक ऑफ बड़ौदा में फर्स्ट क्लास ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। सुशील की पत्नी जेनिफर खातीपुरा स्थित एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं, जबकि बेटा ऑस्टिन एक उभरता हुआ बैडमिंटन खिलाड़ी है। इस दर्दनाक घटना ने परिवार को गहरा आघात पहुंचाया है। शोक में डूबे परिवार के लिए यह हादसा असहनीय है। सुशील नथानियल मूल रूप से मध्य प्रदेश के जोबट क्षेत्र के रहने वाले थे, लेकिन लंबे समय से वे इंदौर में निवासरत थे। उनकी अंतिम विदाई में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। क्षेत्रीय नागरिकों, रिश्तेदारों, मित्रों और सहकर्मियों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। सुशील के निधन ने पूरे शहर को शोक में डुबो दिया है, और आतंकवाद के खिलाफ एक बार फिर आक्रोश की लहर दौड़ गई है।

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