कांग्रेस की जिला एवं प्रदेश कार्यकारिणी में सामाजिक न्याय की झलक दिखेगी। कार्यकारिणी में सभी जातियों का प्रतिनिधित्व होगा। अति पिछड़े व दलित वर्ग को समाहित करते वक्त संबंधित जिले के वोटबैंक का भी ध्यान रखा जाएगा। इसकी कवायद शुरू हो गई है। दरअसल, जातीय गोलबंदी के सहारे कांग्रेस ने अपना खोया जनाधार पाने की कवायद तेज कर दी है। दिल्ली पहुंचे पार्टी के जिला व शहर अध्यक्षों को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संगठन से लेकर सियायत तक का पाठ पढ़ाया है। इसी आधार पर अब जिला व शहर अध्यक्ष कांग्रेस का जनाधार बढ़ाएंगे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक जिला व शहर अध्यक्षों को शीर्ष नेतृत्व ने जातीय गणित का विशेष तौर पर ध्यान रखने का निर्देश दिया है। साफ कहा गया है कि कार्यकारिणी में जातियों का गुलदस्ता दिखना चाहिए, जिसमें सामाजिक न्याय की झलक हो। जिले में जिस वर्ग की जितनी आबादी है, उसी हिसाब से उसकी भागीदारी सुनिश्चित करें। संगठन में अति पिछड़ों को ज्यादा तवज्जो देने की हिदायत दी गई है। इसमें यह भी ध्यान रखना है कि संबंधित जिले में अति पिछड़े वर्ग की कौन-कौन सी जातियां हैं। ऐसा ही फॉर्मूला दलित व अल्पसंख्यक वर्ग के लिए उठाना है। दलित वर्ग में भी अलग-अलग जातियों के लोगों को शामिल करने पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है।
शहरों में कांग्रेस के लिए कार्यकारिणी की मजबूती बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए शीर्ष नेतृत्व ने शहर अध्यक्षों को फूंक-फूंक कर कदम बढ़ाने की हिदायत दी है। शहर में जहां अल्पसंख्यक वर्ग की आबादी ज्यादा है, वहां अल्पसंख्यक वर्ग की सभी जातियों को कार्यकारिणी में समाहित करने को कहा गया है। संख्या आबादी के हिसाब से तय करने के निर्देश दिए गए हैं। कुछ यही फॉर्मूला मंडल व ब्लॉक कार्यकारिणी के गठन में भी अपनाने को कहा गया है।