
उत्तराखंड:– राज्य सरकार अब प्रदेश में सोना, चांदी, तांबा जैसी दुर्लभ धातुओं की भी तलाश करेगी। इसके लिए दुर्लभ धातुओं की खोज की विशेषज्ञता रखने वाली ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय की मदद ली जाएगी। इसके लिए जल्द ही भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, मोनाश विवि और आईआईटी रुड़की के बीच तीन पक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होंगे। दुर्लभ धातुओं की खोज व उत्खनन के लिए अलग निदेशालय बनाने की भी योजना है। इस काम के लिए एक टास्क फोर्स भी बनाई जाएगी।
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग मुख्य रूप से रेता, बजरी, पत्थर आदि से राजस्व प्राप्त करता है। अब विभाग नए क्षेत्रों में खनन के माध्यम से राजस्व जुटाने की योजना बना रहा है। इसी के तहत उत्तरकाशी में सिलिका खनन की योजना पर काम किया जा रहा है, अब धातु के अनुसंधान,और खनन की भविष्य में संभावना को लेकर कार्य किया जाएगा। इसे लेकर शासन स्तर पर बैठक भी हुई थी। इसमें शासन के अधिकारियों के अलावा आईआईटी रुड़की, मोनाश विवि ऑस्ट्रेलिया के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। बैठक में मुख्य सचिव ने विभाग को योजना पर तेजी से काम करने के निर्देश दिए थे।
भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के महानिदेशक राजपाल लेघा कहते हैं कि क्रिटकल मिनरल के तहत सोना, चांदी, तांबा जैसे धातु आते हैं। पहले चरण में यह खोज होगी कि राज्य में कहां-कहां पर कौन-कौन सी धातु है। फिर धातुओं का भंडार, उसको निकलने में आने वाले खर्च का आकलन होगा। फिर खनन के लिए लाइसेंस का पट्टा देने की प्रक्रिया होगी। राज्य में पिथौरागढ़ के अस्कोट में करीब 19 साल पहले सोना निकालने की संभावना को लेकर कार्य किया जा चुका है। इसके लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन से मंजूरी (फाॅरेस्ट क्लीयरेंस) मिलना बाकी है। क्रिटकल मिनरल पर अनुसंधान आदि कार्याें के लिए गठित होने वाली टास्क फोर्स में सरकारी विभाग के प्रतिनिधि, शिक्षण संस्थानों और उद्योग विभाग के विशेषज्ञ शामिल होंगे। सचिव खनन के निर्देश में प्रस्तावित निदेशालय काम करेगा, जाे क्रिटकल मिनरल की खोजबीन, निकालने के साथ संग्रहण का काम करेगा। इस योजना पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के मॉडल पर काम होगा।
राज्य में सोना, चांदी जैसे धातुओं की तलाश की योजना है। इसके लिए तीन संस्थाओं का एमओयू होगा। भविष्य में इन धातु के खनन से राजस्व में बढ़ोतरी होगी, इसके अलावा रोजगार भी बढ़ेगा। इस दिशा में काम किया जा रहा है।
– बृजेश संत, सचिव खनन