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दिल्ली के मयूर विहार में तड़के डीडीए ने तोड़ा मंदिर, भारी सुरक्षा बल तैनात

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दिल्ली के मयूर विहार इलाके में तड़के सुबह तीन बजे मंदिरों को तोड़ने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) पहुंचा। डीडीए के साथ भारी सुरक्षा बल भी मौके पर पहुंचा। लेकिन इसी दौरान लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया और डीडीए को कार्रवाई रोकनी पड़ी। वहीं मंदिरों पर कार्रवाई को लेकर दी गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। पटपड़गंज से विधायक रविंद्र नेगी ने कहा कि सीएम रेखा के दखल के बाद डीडीए की कार्रवाई को रोकी गई। विधायक नेगी ने अपने एक्स हैंडल पर कुछ तस्वीरें साझा की और लिखा कि मयूर विहार फेस 2 में स्थित मंदिरों को तोड़ने के लिए हाईकोर्ट के आदेशानुसार, डीडीए की टीम पुलिस बल के साथ पहुंची थी। लेकिन हम रात 3 बजे से ही वहां मौजूद रहे और हर संभव प्रयास किया कि हमारी आस्था का प्रतीक यह मंदिर सुरक्षित रहे।पटपड़गंज विधानसभा के मयूर विहार फेस 2 में स्थित मंदिरों को तोड़ने के लिए हाई कोर्ट के आदेशानुसार DDA की टीम पुलिस बल के साथ पहुंची। लेकिन हम रात 3 बजे से ही वहां मौजूद रहे और हर संभव प्रयास किया कि हमारी आस्था का प्रतीक यह मंदिर सुरक्षित रहे।
विधायक ने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, एलजी वीके सक्सेना, सांसद से बात कर तुरंत कार्रवाई को रुकवाया गया। पुलिस को वापस भेजा गया। मुख्यमंत्री के तुरंत आदेश के बाद मंदिर तोड़ने की प्रक्रिया को रोक दिया गया। यह मंदिर हमारी आस्था, संस्कृति और समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ स्थान है। धर्म, आस्था और जनता की भावनाओं की रक्षा के लिए हम सदैव तत्पर रहेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, डीडीए की टीम प्राचीन मंदिरों को गिराने के लिए पहुंची थी। हाईकोर्ट ने मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था। जो ग्रीन बेल्ट में आ रहे हैं। मंदिरों को ग्रीन बेल्ट में होने का हवाला देते हुए नोटिस जारी किया गया था। कार्रवाई करने पहुंची टीम को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट जाने को कहा

मयूर विहार फेज 2 में तीन मंदिरों पूर्वी दिल्ली काली बाड़ी समिति, श्री अमरनाथ मंदिर संस्था, श्री बद्री नाथ मंदिर की समितियों ने 19 मार्च 2025 को डीडीए के ध्वस्तीकरण नोटिस को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है। वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि बुधवार रात 9 बजे अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक नोटिस चिपकाया गया था। उन्हें सूचित किया गया था कि 20 मार्च 2025 को सुबह चार बजे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि डीडीए के किसी भी अधिकारी या किसी भी धार्मिक समिति द्वारा मंदिरों को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया। याचिका में कहा गया है कि मंदिर 35 साल पुराने हैं। डीडीए ने खुद काली बाड़ी समिति मंदिर को मंदिर के सामने की जमीन पर दुर्गा पूजा आयोजित करने की अनुमति दी थी।

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