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हिमस्खलन के बाद 32 मजदूरों को सेना और आईटीबीपी के जवानों ने सुरक्षित निकाल लिया, जबकि 25 मजदूरों का अभी कुछ पता नहीं चल सका है।
आठ फीट बर्फ और लगातार होती भारी बर्फबारी, तापमान माइनस में… ऐसी विषम परिस्थितियों में सेना और आईटीबीपी के जवान हिमस्खलन में दबे मजदूरों को निकालने में दिनभर जुटे रहे। 11 घंटे से अधिक समय तक चले अभियान का परिणाम यह रहा कि देर शाम तक 32 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया। सेना और आईटीबीपी का यही जज्बा उन्हें हिमवीर बनाता है।
शुक्रवार को माणा गांव के पास हुए भारी हिमस्खलन की सूचना पर वहां तैनात सेना और आईटीबीपी के जवानों ने सुबह सात बजे ही रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया। क्षेत्र में सुबह से ही लगातार भारी बर्फबारी होती रही।
आठ फीट बर्फ और लगातार होती भारी बर्फबारी, तापमान माइनस में… ऐसी विषम परिस्थितियों में सेना और आईटीबीपी के जवान हिमस्खलन में दबे मजदूरों को निकालने में दिनभर जुटे रहे। 11 घंटे से अधिक समय तक चले अभियान का परिणाम यह रहा कि देर शाम तक 32 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया। सेना और आईटीबीपी का यही जज्बा उन्हें हिमवीर बनाता है।
शुक्रवार को माणा गांव के पास हुए भारी हिमस्खलन की सूचना पर वहां तैनात सेना और आईटीबीपी के जवानों ने सुबह सात बजे ही रेस्क्यू अभियान शुरू कर दिया। क्षेत्र में सुबह से ही लगातार भारी बर्फबारी होती रही।
पूरा आपदा तंत्र इस आपदा से निपटने के लिए सेना और आईटीबीपी पर ही निर्भर रहा। बदरीनाथ हाईवे बर्फबारी के कारण बंद होने से आपदा प्रबंधन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीम देर शाम तक वहां नहीं पहुंच पाई थी।
बृहस्पतिवार से इस पूरे क्षेत्र में भारी बर्फबारी हो रही है। ऐसे में शुक्रवार को जब यहां हिमस्खलन हुआ तो तापमान पहले से माइनस में था। दोपहर बाद भी बर्फबारी होने से तापमान में भी गिरावट होने लगी।
बर्फबारी भी होती रही लेकिन जवानों ने रेस्क्यू अभियान को एक पल के लिए भी नहीं रोका। जवानों का हर एक कदम वहां फंसे लोगों में जीवन की आस जगाने वाला रहा। जब तक यहां अंधेरा नहीं हो गया जवान मजदूरों को निकालने में जुटे रहे।