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देहरादून:- विगत दिवस विधानसभा सत्र के दौरान संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विधायक मदन सिंह बिष्ट के ऊपर अमर्यादित और अनर्गल आरोप लगाने के लिए कांग्रेस नेत्री गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रेम चंद अग्रवाल को आढ़े हाथों लिया है। दसौनी ने कहा की प्रेमचंद अग्रवाल को अपने शब्द तोल मोल कर इस्तेमाल करने चाहिए। किसी भी व्यक्ति को समाज में अपनी प्रतिष्ठा और चरित्र बनाने में पूरा जीवन लग जाता है लेकिन चरित्र हनन करने के लिए मात्र एक पल चाहिए होता है। इसलिए किसी का भी चरित्र हनन करने से पहले अपने गिरेबान में झांकना जरूरी है।
गरिमा ने कहा कि जिनके घर शीशे के होते हैं वह दूसरों पर पत्थर नहीं मारते, दसौनी ने मंत्री अग्रवाल को याद दिलाते हुए कहा कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं मंत्री रहते हुए प्रेमचंद अग्रवाल को सरे बाजार गनर और ड्राइवर के साथ मिलकर आरएसएस के एक व्यक्ति को चौराहे पर गुंडो की तरह पीटते हुए पूरे उत्तराखंड ने देखा। गरिमा ने मंत्री अग्रवाल से सवाल पूछा कि क्या वह एक जनप्रतिनिधि का आचरण था? और क्या प्रेमचंद अग्रवाल ने उत्तराखंड की जनता से अपने उस गरिमा विहीन कृत्य के लिए माफी मांगी? ऐसे में सवाल बड़ा यह उठता है कि यदि प्रेमचंद अग्रवाल को विपक्षी विधायकों के सवालों के जवाब नहीं सूझ रहे तो क्या वह इस तरह से विधानसभा के अंदर अपने सहयोगियों को बदनाम करने का काम करेंगे ?
दसोनी ने कहा कि उत्तराखंड की जनता और विपक्ष सरकार से यह अपेक्षा करती है कि वह सत्र की अवधि बढ़ाए । उत्तराखंड की 70 विधानसभाओं की जनता ने बड़े प्रेम और विश्वास के साथ अपने जनप्रतिनिधियों को चुनकर इस आशा के साथ विधानसभा भेजा कि वह लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाली विधानसभा में उनकी क्षेत्रीय वह प्रादेशिक समस्याओं से सरकार को अवगत करवाएंगे परंतु सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते सत्र की अवधि नहीं बढ़ाना चाहती और जिस भी विधायक के सवालों के जवाब उनके पास नहीं है उनके ऊपर इसी तरह का बेसिर पैर का आक्षेप लगाया जा रहा है जो निराधार ही नहीं अस्वीकार्य है। गरिमा ने मांग करी कि या तो प्रेमचंद अग्रवाल अपने आरोप को साबित करें और यदि वह ऐसा नहीं कर पाए तो सार्वजनिक तौर पर सम्मानित विधायक मदन सिंह बिष्ट समेत समूची कांग्रेस से माफी मांगे।