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उत्तराखंड में रोडवेज की नई बसें चली न ही सीएम की चली। अफसरों ने ऐसा अड़ंगा लगाया कि तत्काल खरीद के चार माह पूर्व दिए गए आदेश के बावजूद अब तक बस खरीद शुरू नहीं हो पाई है। अब नए सिरे से टेंडर निकालने की तैयारी की जा रही है।
पिछले साल 21 नवंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिल्ली में बस संचालन के संकट को देखते 100 नई बसें खरीदने, 100 अनुबंधित बसों को मंजूरी दी थी। उन्होंने निर्देश दिए थे कि तत्काल बसें खरीदी जाएं, ताकि दिल्ली बस संचालन प्रभावित न हो। इससे पहले 19 नवंबर को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने भी बस संचालन की प्रक्रिया तत्काल आगे बढ़ाने के निर्देश देते हुए कहा था कि फाइल पर कार्रवाई की जाए।
इतने निर्देशों के चार महीने बाद तक भी रोडवेज बस खरीद की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। पहले ये तय हुआ था कि पूर्व के टेंडर से ही 100 नई बसें भी खरीदी जाएंगी लेकिन बाद में अफसरों ने इसमें अड़ंगा लगा दिया। फाइल वित्त के पास गई। वित्त ने अब नए सिरे से टेंडर निकालने को कहना है। निगम अब टेंडर निकालने की तैयारी कर रहा है।
ये होगा नुकसान
अगर पुराने टेंडर पर ही टाटा कंपनी से बसें खरीदी जाती तो उसी मूल्य पर बसें मिल जाती। इन चार महीनों में बस से जुड़े सभी उपकरण महंगे हो गए हैं। कहा जा रहा है कि अब नए सिरे से टेंडर करने पर कम से कम पांच करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान राज्य को होगा।
31 मार्च से बढ़ेगा बसों का संकट
दिल्ली में 31 मार्च के बाद यूरो-4 रोडवेज बसों का प्रवेश पूर्ण रूप से बंद हो जाएगा। दिल्ली रूट पर चलने वाली उत्तराखंड की करीब 250 यूरो-4 बसों के पहिये थम जाएंगे। जिससे इस रूट पर बसों की भारी किल्लत होने वाली है। नया टेंडर होने और बसें आने में कम से कम छह से आठ माह का समय लगेगा। ऐसे में बस संकट का फिलहाल कोई हल नजर नहीं आ रहा है।
महासंघ भी विरोध में उतरा, बैठक 17 को
परिवहन निगम में 100 नई बसों की खरीद पर निगम कर्मचारी महासंघ ने सुझाव दिया था कि पिछले साल किए गए टेंडर पर आपूर्ति कराई जाए लेकिन शासन ने नए टेंडर कराने के आदेश दिए हैं। महासंघ का कहना है कि इससे सीधे तौर पर कम से कम पांच करोड़ की राजस्व हानि होगी। बसों के आने में लंबा समय लगेगा। रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने इसके विरोध में आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए 17 फरवरी को गांधी रोड स्थित कार्यालय में बैठक बुलाई है। उधर, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि पूर्व के टेंडर से ही खरीद होती तो निगम का पैसा बचता और समय से बसें भी उपलब्ध हो जाती।
100 नई बसें खरीदने को नया टेंडर निकाला जाएगा। इसकी तैयारी हमने पूरी कर ली है। वित्त विभाग से भी इसकी मंजूरी मिल चुकी है। जल्द टेंडर जारी होगा। –रीना जोशी, प्रबंध निदेशक, परिवहन निगम