नरेश तोमर (दिल्ली):–‐कश्मीर में हिंदुओं को उनका नाम पूछ-पूछ कर मारा जा रहा है, लेकिन कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या पर ना तो हमें इस्लामिक देशों से कोई प्रतिक्रिया मिली और ना ही अमेरिका, ब्रिटेन और बाकी के पश्चिमी देशों ने इन हत्याओं की निंदा की है, जो खुद को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का चैम्पियन बताते हैं. यानी कश्मीर में जो हिन्दू मारे जा रहे हैं, हम उनके लिए कुछ नहीं कर पाए, लेकिन एक टीवी डिबेट में दिया गया बयान इतना बड़ा मुद्दा बन गया कि आज सब उस पर बात कर रहे हैं.
आज हम कतर, कुवैत, बहरीन और ईरान जैसे देशों को भी बधाई देना चाहते हैं. ये बहुत छोटे-छोटे देश हैं, लेकिन इसके बावजूद ये अपने धर्म के लिए एक साथ आकर खड़े हो गए. जबकि हम कभी ऐसा नहीं कर पाए.कतर हमारे त्रिपुरा राज्य के बराबर, क्षेत्रफल के मामले में भारत कतर से लगभग 2800 गुना बढ़ा है. भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87 हजार वर्ग किलोमीटर है, जबकि कतर का क्षेत्रफल 11 हजार 490 वर्ग किलोमीटर है. यानी कतर हमारे त्रिपुरा राज्य के बराबर है. कतर की कुल आबादी 29 लाख है.
भारत की कुल आबादी 140 करोड़ है. कतर की अर्थव्यवस्था 12 लाख 78 हजार करोड़ रुपये की है. जबकि भारत की अर्थव्यवस्था 204 लाख करोड़ रुपये की है. लेकिन इसके बावजूद कतर अपने देश में भारत के राजदूत को तलब करता है और इस मुद्दे पर भारत से माफी मांगने के लिए कहता है.
कुवैत भी बहुत छोटा सा देशकुवैत भी बहुत छोटा सा देश है. कुवैत सिर्फ 17 हजार 820 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है. उसकी कुल आबादी लगभग 43 लाख है. और कुवैत की अर्थव्यवस्था 10 लाख करोड़ रुपये की है. यानी भारत की अर्थव्यवस्था कुवैत से 19 गुना बढ़ी है. लेकिन इसके बावजूद कुवैत भी कतर की तरह भारत के राजदूत को तलब करता है और इस मुद्दे पर भारत से माफी मांगने के लिए कहता है.
कुवैत भी बहुत छोटा सा देशकुवैत भी बहुत छोटा सा देश है. कुवैत सिर्फ 17 हजार 820 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है. उसकी कुल आबादी लगभग 43 लाख है. और कुवैत की अर्थव्यवस्था 10 लाख करोड़ रुपये की है. यानी भारत की अर्थव्यवस्था कुवैत से 19 गुना बढ़ी है. लेकिन इसके बावजूद कुवैत भी कतर की तरह भारत के राजदूत को तलब करता है और इस मुद्दे पर भारत से माफी मांगने के लिए कहता है.
ईरान ने भी इस मुद्दे पर भारत का विरोध किया है. ईरान की कुल आबादी साढ़े आठ करोड़ है. ईरान का कुल क्षेत्रफल 16 लाख 28 हजार वर्ग किलोमीटर है. ईरान की अर्थव्यवस्था 17 लाख करोड़ रुपये की है. जबकि भारत की अर्थव्यवस्था 204 लाख करोड़ रुपये की है. लेकिन ईरान भी इस पर भारत तो घेर रहा है.
इससे भी बड़ा मजाक ये है कि अफगानिस्तान ने इस मुद्दे पर भारत को लेक्चर दिया है.पाकिस्तान ने भी भारत को इस्लाम विरोधी बतायाअफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने इस घटनाक्रम की निंदा की है और भारत सरकार से कहा है कि उसे ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो इस्लाम धर्म का अपमान करते हैं और मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं.
अफगानिस्तान के अलावा पाकिस्तान ने भी भारत को इस्लाम विरोधी बताया है. और सऊदी अरब ने भी इस पर नाराजगी जताई है.
पकिस्तान अफगानिस्तान में हिन्दुओं सिख जैन बौद्ध के साथ हुए धार्मिक आधार पर हुए अत्याचार की लिस्ट तो बहुत लम्बी है।
ये देश चीन के उइगर मुसलमानों को मुसलमान नहीं मानते, जिन्हें चीन ने अपनी जेलों में बन्द करके रखा है.
ये बलोचिस्तान के मुसलमानों को मुसलमान नहीं मानते, जिन पर पाकिस्तान में अत्याचार किए जाते हैं.
ये सीरिया, ईरान, इराक और Turkey के कुर्द मुसलमानों को भी मुसलमान नहीं मानते, जो पिछले 80 वर्षों से अपने अलग देश कुर्दिस्तान की मांग कर रहे हैं. इस दौरान हजारों कुर्द मुसलमान मारे गए है.
ये यमन के Houthi (हूती) मुसलमानों को भी मुसलमान नहीं मानते. यानी इन देशों ने एक ऐसी व्यवस्था बनाई हुई है, जिसमें उसी व्यक्ति को मुसलमान माना जाता है, जो इनके चश्मे से मुसलमान नज़र आता है. वर्ना दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी पर अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन ये उनके अधिकारों की बात नहीं करते.
कतर ने M.F. Husain को दी थी शरण-उदाहरण के लिए, आज कतर चाहता है कि भारत पैगम्बर मोहम्मद साहब के अपमान के लिए दुनिया से माफी मांगे, लेकिन क्या आपको पता है, कतर वही देश है, जिसने वर्ष 2006 में हिन्दू देवी देवताओं की आपत्तिजनक Painting बनाने के बाद चित्रकार M.F. Husain को अपने यहां शरण दी थी. 2010 में M.F. Husain को कतर की नागरिकता भी मिल गई थी. इसके अलावा आज कतर में एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल है, जो खुलेआम भारत विरोधी और हिन्दू विरोधी Narrative चलाता है.
दूसरी तरफ यही देश, धार्मिक सहनशीलता और धार्मिक आजादी की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने OIC के बयान को गैर-जरूरी और संकीर्ण मानसिकता वाला बताया है.
भारत सबसे पुराना और विशाल लोकतंत्र है और हमारे लोकतान्त्रिक मूल्य हज़ारों लाखों साल पुराने और पुरे संसार को अपना घर मानने वाले हैं लेकिन बदलते भू राजनैतिक परिदृश्य में सभी भारतीय अपने सनातनी धर्म के बारे में दुनिया के छोटे छोटे देशों से सीख लेने की कोई आवश्यकता नहीं है. हमारे अपने सामाजिक मापदंड हैं और मजबूत न्यायिक व्यवस्था है, कोई देश हमें अपने हिसाब से नहीं ढाल सकता। अगर कोई हमारे अंदरूनी मामलों में अपनी नाक घुसाएगा हम उसको उसकी असलियत से अवगत जरूर कराएंगे। मानव मूल्यों पर कोई हमें सीख न दे, अब भारत भी अन्य देशों में काफी ताकतवर है और अपनेे अंदरूनी मसला सॉल्व कर सकताा है.