स्वo आनन्द सिंह बिष्ट(पूज्य पिता योगी आदित्यनाथ जी) को हिन्द न्यूज़ टीवी को और से शत-शत प्रणाम व नमन
NARESH TOMAR ——–: भगवा का भार उठाना सबके बस की बात नहीं ! यहाँ स्वयं का श्राद्धकर्म करके, स्वयं के सारे जन्मना सम्बन्धों का भी पिण्डदान कर देना होता है ! यहाँ से अन्तिम भिक्षा सगी माँ से मांगी जाती है ! कितना कठिन रहा होगा वह क्षण अजय सिंह बिष्ट के लिए ! बाबा बनने के लिये !
और आज कितना कठिन रहा होगा वह निर्णय जिसमें वे पिता के अन्तिम संस्कार पर ना जाने का निर्णय करते हैं ! सामान्य बुद्धि चेतना इस भाव को शायद ही कभी समझ पाये पर भारत ऐसा ही है, इस महान राष्ट्र में ऐसी ही परिक्षाएं देनी पड़ती हैं !
उनके पिता फारेस्ट रेंजर थे, वह भी उत्तराखंड में ! अपने यहां फारेस्ट रेंजर का जलवा देखिये, चार पहिए के नीचे बात ही नहीं होती और उनके पिता जी का रहन-सहन देखिये ! कितना सामान्य और अभाव भरा जीवन था, पर ईमानदारी की सरल मुस्कान के साथ ! शायद रक्त में आज योगी आदित्यनाथ जी को वही मिला है !
प्रदेश कोरोना महामारी से त्रस्त है। बाबा सन्यासी होने के बाद भी राजधर्म को बख़ूबी निभा रहे हैं। उत्तर प्रदेश धन्य है, जहॉं कोरोना संकट अन्य देशों-प्रदेशों की अपेक्षा कम है ! सन्यासी जहॉं धूनी रमाता है, उस धरती को माता मानना है ! अगर किसी अराजक तत्व ने थूका होगा तो बाबा ने चिमटे के बल पर उसे वही थूक चटवाया भी होगा।
इन सबके बाद बाबा अपने गोरक्षपीठाधीश्वर पद की प्रतिष्ठा को सिर-माथे लगाए परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। सन्यासी की कोई जाति नहीं होती, उसका कोई निजी परिवार नहीं होता। समाज का उद्धार ही उसके जीवन का परम् उद्देश्य है। बाबा के पूर्वाश्रम से संबंधित वह माँ धन्य है जिसने ऐसे बेटे को जन्म दिया।
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