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Naresh Tomar: मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने भारत को कहा कि संशोधित नागरिक कानून तुरंत रद्द करना चाहिए और भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत में शरण सम्बन्धी शरणार्थी निधि धर्म अथवा किसी भी आधार पर भेदभाव करने वाली में हो. साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय कानून के मानकों के अनुरूप है। मानव अधिकार संस्था के दक्षिणी एशिया क्षेत्र के निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने 82 पन्नों की रिपोर्ट शूट दी ट्रेट्स:डिस्क्रिमिनेशन मुस्लिम अंडर इंडिया आज न्यू सिटीजनशिप पॉलिसी जारी करते हुए कहा कि ना संशोधन नागरिक कानून भारत के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन करता है इसके मुताबिक नस्ल रंग वंश राष्ट्र आदि के आधार पर नागरिकता देने से इनकार नहीं किया जा सकता
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गांगुली ने इस रिपोर्ट में कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने कोविड-19 कोविड की लड़ाई में एकजुट होने की अपील तो की है लेकिन भेदभाव तथा मुस्लिम विरोधी हिंसा के खिलाफ लड़ाई के लिए एकजुटता का अब तक आवान नहीं किया। रिपोर्ट में आरोप लगाया कि सरकार की नीतियों में भीड़ हिंसा और पुलिस की निष्क्रियता के लिए दरवाजे खोलें जिससे देशभर में मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के बीच डर पैदा हुआ है.