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hind news tv desk ——– : आइसलैंड यानी 3 लाख 60 हजार की आबादी वाला एक छोटा द्वीप राष्ट्र यह देश उन वैज्ञानिकों का घर है जो अनुवांशिक खोज में सबसे आगे हैं. साथ ही यह लोग कोविड-19 के बारे में भी जरूरी चीजें पता लगा रहे हैं. ताकि उस डाटा का इस्तेमाल करोना वायरस के टीके में किया जा सके. इस देश ने अपने यहां कोरोनावायरस फैलने से पहले ही कड़ाई से नागरिकों का टेस्ट शुरू कर दिया था. क्योंकि आइसलैंड को अन्य देशों की तरह सख्ती से लागू नहीं करना चाहता था। मगरदेस देश से सामने आई एक रिपोर्ट ने समूची दुनिया को हिला कर रख दिया। आइसलैंड के वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उसने दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा लोगों पर कोरोना टेस्ट किया है। लेकिन जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उनमें से आधे लोग में कोना वायरस के कई लक्षण नहीं थे.
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इसका मतलब साफ है कि बिना बुखार जोड़ों के दर्द और खासी जुकाम हुए ही आपको कोरोना के मरीज हो सकते हैं. यह रिपोर्ट एक ऐसे देशो की और ओर इशारा करती है जो देश ऐसे हैं जिन्होंने लोगों के लक्षण नजर आने के बाद ही कोरोना का टेस्ट किया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस की चपेट में आए लगभग 25 प्रति लोगों में के कोई लक्षण नहीं दिखते। ऐसे लोगों की भारी तादाद है जो कोरोना वायरस के जिस तरह के मामलों बताया जा रहे हैं.
जिस तरह की वैज्ञानिक एक रिपोर्ट आई है उस आंकड़ों से यह साफ संकेत मिलते हैं कि वैश्विक स्तर पर ऐसे लोग हैं जो संक्रमित हो सकते हैं. लेकिन उनका प्रशिक्षण नहीं किया जा सकता। .साथी अपने हाथ को सैनिटाइज करना और बार-बार हाथ को धोना यह ही करो ना जैसी महामारी को रोकने के लिए एक सरल उपाय है.
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