Naresh TOMAR — 21 दिन के लॉक डाउन के निर्णय तक पहुंचने में देश ने जो तेजी दिखाई और देश में 21 दिन का लॉक डाउन और उनका निर्णय देखकर यह लगता है कि सरकार पहले से इस खतरे को नजरअंदाज करती आ रही थी. WHO के अति विश्वास की सजा के रूप में आज की हालत को कुछ लोग देखते हैं. जिस तरह पूर्व विदेश सचिव शशांक का कहना है कि लग रहा है कि कई स्तर पर गड़बड़ियां हुई है हम चीन और उसके प्रांतों वुहानतथा नेपाल समेत आसपास के देशों पर फोकस करके बाकी सब ओर से बेखबर रहे.
जिस तरह ईरान इटली ब्रिटेन यूरोप के लोग देश में आते जाते रहे इसी तरह से मार्च के दूसरे सप्ताह तक इंटरनेशनल कमर्शल फ्लाइट चलती रही. शाशक भी मानते हैं भारत समय रहते रोना वायरस के संक्रमण को लेकर सही आकलन नहीं कर पाया। वही प्रोफेसर सिंह भी इसमें लापरवाही भी WHO से फुछ्ते हे की जब कुछ गड़बड़ी नहीं हुई तो अचानक अब मरीज इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहे हैं. निश्चित रूप से केंद्र सरकार और हमारे स्वास्थ्य जैसे खतरे का सही आकलन करने से चूक गई.
पूर्व विदेश सचिव शशांक इस सवाल पर कहते हैं कि चीन और WHO संगठन ने कोरोना से जुड़ी तमाम जानकारी काफी समय तक छुपाए रखी.इसलिए भारत इसकी चपेट में आ गया. भारत ही नहीं विश्व के कई देश भी इसकी चपेट में आ गए। अगर विश्व स्वास्थ संगठन पहले से ही करोना संक्रमण को लेकर तमाम देशों को सही जानकारी देता तो आज यह स्थिति ना होती। क्योंकि समय रहते कई देश अपनी शुरुआती सतर्कता दिखाते।
जैसे कई देशों ने शुरुआती सतर्कता दिखाते हुए अपने आप को बचा लिया। लेकिन भारत ऐसा नहीं कर पाया। विश्व स्वास्थ संगठन को बहुत पहले से ही इसकी जानकारी थी। उसी जानकारी के आधार पर वह करो ना को विश्व समुदाय के लिए महामारी घोषित कर सकता था.समय रहते भारत को लोक डाउन करने में सुविधा होती।
डॉक्टर अश्वनी चौबे बताते हैं कि चीन के कोरोना संक्रमण से प्रभावित होने के बाद भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर उसे चिकित्सा सामग्री उपलब्ध कराई। अन्य देशों को भी चिकित्सा मदद दी गई, देश से मार्च के तीसरे सप्ताह तक मास सैनिटाइजर सहित अन्य निर्माण निर्यात किया गया. डॉ अश्विनी चौबे कहना है कि इस समय सही मायने में भारत के पास कोरोना संक्रमण की जांच की प्रामाणिकता नहीं है.अब अगर इससे बचा जा सकता है तो वह है अपने आप कोइसयोलेट करना अपने आप को 21 दिन तक अपने घर के अंदर रहना। इसके अलावा सरकार अभी तक ना वह किट तैयार कर पाई है और ना ही कोई वैक्सीन इसके लिए तैयार हुई है.
कोरोला संक्रमण चीन के उस शहर वाहन से फैला जहां के लोगों के दुनिया भर में सीधे व्यापारिक रिश्ते हैं ,पूर्व विदेश सचिव शशांक कहते हैं कि वहां से करोना पश्चिम के देश में फैलता चला गया. लेकिन हमारी तैयारी और सतर्कता केवल चीन नेपाल और आस-पड़ोस के देश पर अधिक रही। इस दौरान दुनिया के तमाम देशों से हमारे देश में लोग आते जाते रहे. विदेश में रह रहे तमाम भारतीय आए और भारत में अपने गांव और अपने क्षेत्रों में गए. जिन्हें भी संक्रमण था उनके द्वारा दूसरों को संक्रमित कर दिया गया। एक केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियों सहित WHO को अब लग रहा है कि बड़ी चूक हो गई.
कई देशों की तरह हम भी चूक गए जर्मनी, पोलैंड ,दक्षिणी कोरिया, की तरह सावधानी नहीं बरती ,शाशक का कहना कि अंतरराष्ट्रीय उड़ान से आने वाले लोगों को केवल थर्मल स्क्रीन पर भरोसा कर लेना ठीक नहीं था. विदेश से आए सभी लोगों को लगातार निगरानी के लिए शीर्ष स्तर पर कदम उठाने चाहिए थे. जब मार्च में जयपुर का मामला सामने आया तो महीने केआखिरी सप्ताह में थोड़ा गंभीरता से लेना शुरू किया।
शाशक कहते है जो भारतीय नागरिक यूरोप या दुनिया के अन्य देशों में रह रहे थे. जिनके वीजा की अवधि समाप्त हो गई थी और भारत आना चाह रहे थे. उन्हें लेकर सुरक्षित व्यावहारिक कदम उठाए जा सकते थे। दुनिया के किसी भी देश में जो जहां है उसे वहां की सरकार को दूसरे देश की सुरक्षा देनी होगी। यह प्रोटोकॉल है, और भारत की सरकार उनकी वीजा की अवधि बढ़ाने का अनुरोध करती। उन्हें वहां की सरकार से मुफ्त इलाज देने का अनुरोध करती। प्रोटोकॉल के हवाले से उन भारतीयों के स्वास्थ्य पर इलाज के खर्चे का दूतावास उच्च आयोग के माध्यम से भुगतान करने की बात करती।यह प्रयोग ज्यादा सुरक्षित हो सकता था.न की उनको भारत मर लाना।
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