दुनिया भर में आज करो ना का कहर छाया हुआ है हजारों लोग इस खतरनाक वायरस से मौत के मुंह में पहुंच चुके हैं लाखों की संख्या में आज कॅरोना से पीड़ित हैं। सभी देशों ने कोरोना के कारण इसको महामारी घोषित कर दिया है. दुनिया में आज कोरोना वायरस को लेकर डरे हुए हैं.
यह वायरस आखिर आया कहां से यह सवाल लोगों के जेहन में बार-बार उठ रहा है. अगर कोरोना वायरस की बात करें तो सामने आता है कि 1981 के आसपास एक संक्रमण का जिक्र करते हुए एक किताब लिखी गई थी. इसका नाम था वहान 400 यानी कि आज से करीब 40 साल पहले उस वायरस के बारे में किताब का जिक्र किया गया था .
इस किताब की शुरुआत तो अमेरिका की एक ऐसी मां से होती है जो अपने बच्चों को ट्रैकिंग दल के साथ भेज देती है। लेकिन पूरा ट्रैकिंग दल मारा जाता है. बाद में कोई संकेत मिलने पर यह मां अपने बच्चे के जीवित होने या ना होने की खोज में जुट जाती है. इस महिला को अपने बेटे की खोज के दौरान अमेरिका और चीन देशों के उन जैविक हथियार के बारे में काफी पता चल जाता है.
इस पूरी किताब में लेखक ने जो कमाल किया है वह अपनी आज आपके सामने है। जिस कोरोना वायरस को लेकर आज पूरी दुनिया चिंतित है. यह किताब में सिर्फ कोरोना के बारे में जिक्र करती है. बल्कि उसके उद्गम के तौर पर चीन के ठीक उसी वोहान प्रांत का अजिक्र है जहां से यह वायरस फैला है. इस किताब के पेज नंबर 353 से 356 तक यहां तक लिखा है कि कोरोना वायरस को चीन ने अपने शहर वोहान के एक लैब में सबसे चुप कर बनाया है।
बाद में चीन कोरोना वायरस का प्रयोग अपने देश की गरीब जनता की आबादी कम करने के लिए इसका करेगी। जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि अगर चीन की गरीब जनता कम हो जाएगी तो चीन को सुपर पावर बनने से दुनिया की कोई भी ताकत नहीं रोक सकती।इसके साथ ही चीन आगे चलकर इस वायरस का उपयोग बायोलॉजिकल हथियार के रूप में भी करेगी। जिससे वह दूसरे देशों पर इस वायरस के जरिए हमला कर सके.
किताब में कलेनके नामक एक व्यक्ति के बारे में जिक्र है जो चीन के इस महत्वकांशी जैविक हथियार प्रोजेक्ट की जानकारी चुराकर अमेरिका को देता है. इस जैविक हत्यार के पास वः ताकत है जो दुनिया में किसी भी कोने में किसी भी देश का खाली कर देने की ताकत हासिल है। लेकिन अमेरिका एजेंसी बड़ी मुश्किल से ही सही लकिन इस जैविक खतरनाक जैविक हत्यार का तोड़ तलाश लेने में कारगर हो जाती है.
वोहान 400 कोड रखने का तर्क किताब में यह दिया गया है.क्योंकि यह इस लैब में तैयार 400 ऐसा हथियार है जो वोहान प्रान्त में बनाया गया है. एक कमाल यह भी है कि किताब में दूसरे वायरस की तुलना भी की गई है. वह है खतरनाक की इबोला वायरस,कहा गया हे यह इबोला वायरस भी वही ईजाद किया गया है। यानी पिछले कुछ समय से दुनिया दो बड़े खतरों से रूबरू हुई. उन दोनों का जिक्र इस किताब में शामिल है.यह किताब आज से लगभग 40 साल पहले लिखी गयी थी।
इस किताब मे लिखी बातों को अगर मानें तो यह वायरस इंसानी शरीर के बाहर 1 मिनट भी जीवित नहीं रह पाता।यह वायरस वयक्ति से वयक्ति में फैलता है। इसके बिना यह एक मिनट भी जीवित नहीं रह सकता है। इस तरह का कोरोना वायरस को तैयार करने का मकसद आक्रमण करने वाले देश के लिए कब्जा करना आसान हो। लेकिन अब इस किताब का जिक्र की गई बातों से इस खतरनाक मुश्किल के हल भी तलाशने की कोशिश की जा रही है
वैज्ञानिक तथ्यों की अगर बात करें इस तरह के वायरस का जिस तरह से व्यवहार बताएगा है उससे किसी भी देश को काबू करने का काम किया जा सकता है। इस किताब को अब पढ़ने वाले पुस्तक प्रेमी ही नहीं बल्कि दवाई बनाने वाली कंपनी और मेडिकल से जुड़ी हस्तियां भी शामिल है दुनिया आज ऐसे नए खतरे पर खड़ी है जिससे वह बचना चाहते हे. लेकिन जिन महामारी की बात आज हम कर रहे हैं वह 1981 में इसके किताब के जरिए जिनकार्टून ने पहले ही लिख दी थी.आखिर इसमें कितनी सच्चाई हे इसका तो हम कुछ कह नहीं सकते। इतना जरूर हे की आप को अगर कोरोना से बचना हे तो आप अपने आप को इसनोलेट कर ले किसे न मिले तो यह वायरस खुद पर खुद मर जायगा
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