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वित्तविहीन शिक्षक की चौथे बजट में उपेक्षा ,मांग न मांगी तो शिक्षक बोर्ड परीक्षा में उतरने के लिए बाध्य होंगे

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उत्तर प्रदेश के बलिया जनपद के जिलाधिकारी कार्यालय पर वित्त विहीन शिक्षक किस स्थिति से गुजर रहे है । इसका नजारा आज कलेक्ट्रेट बलिया में देखने को मिला , जहां वित्त विहीन शिक्षकों ने प्रदर्शन करते हुए सीएम योगी को पत्रक भेजा जिसमे मांग की गई है कि जब तक मानदेय का फैसला नही हो जाता है तब तक कम से कम कुशल श्रमिक के ही बराबर मानदेय देने की कृपा करें । माध्यमिक वित्तविहीन शिक्षक महासभा जनपद इकाई बलिया के तत्वाधान में माध्यमिक शिक्षा में 4 वर्षों से सहयोग दे रहे है। 



वित्तविहीन शिक्षक को सरकार द्वारा लगातार चौथे बजट तक उपेक्षा की  

 वित्तविहीन शिक्षक को सरकार द्वारा लगातार चौथे बजट तक उपेक्षा की जा रही है। जिसको लेकर आज शिक्षक आक्रोशित है, अपनी मांगों को लेकर वित्तविहीन शिक्षक जिला से लेकर प्रदेश स्तर तक बड़ा से बड़ा आन्दोलन धरना प्रदर्शन मूल्यांकन बहिष्कार, परीक्षा बहिष्कार तक किया लेकिन सरकार झूठा आश्वासन देती रही है जबकि इसी प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा में शासकीय अशासकीय विद्यालयों के महत्वपूर्ण विषयों जैसे विज्ञान, गणित, अंग्रेजी के अध्यापकों का पूर्ण रूप से अभाव है। आज उ0प्र0 के शिक्षा में लगातार गिरावट देखने को मिल रहा है जिसकी जिम्मेदारी सरकार की बनती है क्योंकि संविधान में समवर्ती सूची के तहत शिक्षा एवं स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की बनती है । इस अवसर पर जिला अध्यक्ष अशोक कुमार शुक्ला ने बताया कि सरकार ने शिक्षकों के विश्वास को खो दिया है, इसलिए सरकार के किसी आगामी कार्य में शिक्षक सहयोग नहीं दे सकेंगे । इस अवसर पर प्रदेश महासचिव डॉ० कृष्ण मोहन यादव ने बताया कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है । आज शिक्षक की सम्मानजन मानदेय एवं सुरक्षायुक्त सेवा नियमावली को लागू करने की मांग 100 प्रतिशत जायज है । 



शिक्षक बोर्ड परीक्षा में उतरने के लिए बाध्य होंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी  

यदि सरकार ने समय रहते शिक्षकों की मांगों पर विचार नहीं किया तो शिक्षक विद्यालयों से पलायन होने की स्थिति में है । प्रमुख मांगे काली पट्टी बांधकर ड्यूटी तो करेंगे । इसके बाद सड़क पर उतरने के लिये बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी । प्रमुख मांगो में 1-  धारा-7क(क) जैसी त्रुटि पूर्ण मान्यता को समाप्त करते हुए इसके अंतर्गत जारी समस्त मान्यताओं को धारा/7(4) में संशोधित करते हुए समान विद्यालयों में समान शिक्षा दे रहे अद्यतन कार्यरत सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों को पूर्वकालिक का दर्जा देते हुए समान कार्य का समान वेतन दिया जाय ।
2- जब तक समान कार्य का समान वेतन नहीं मिलता तब तक कुशल श्रमिक के बराबर सम्मानजनक मानदेय दिया जाए।  यह पत्रक जिलाध्यक्ष अशोक कुमार शुक्ल व प्रदेश महा सचिव कृष्ण मोहन यादव के नेतृत्व में दर्जनभर अध्यापको ने प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजी ।

डॉ कृष्ण मोहन यादव(वित्त विहीन शिक्षक के अध्यक्ष) ने कहा  की आज प्रदेश के अति पिछड़ने इलाके के स्थापित वित्तविहीन विद्यालय में कार्य करने वाला अध्यापक उ0प्र0 के असहाय एवं गरीब छात्रों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देकर उ0 प्रO के साक्षरता दर को ऊपर करने का काम कर रहा है जबकि दूसरी तरह यह सरकार लगातार उनकी उपेक्षा करती आ रही जो कही से भी उचित नहीं है। इसलिए समय रहते सरकार को शिक्षकों की मांगों पर विचार करना चाहिए अन्यथा की स्थिति में शिक्षक बोर्ड परीक्षा में उतरने के लिए बाध्य होंगे 

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