लालघाटी हलालपुर निवासी मयंक के पिता भीष्म छवानी की 8 जनवरी 2013 को ब्लड प्रेशर लो होने की वजह से मौत हो गई थी। भीष्म की पत्नी दिशा छवानी एक बुटीक पर काम करके अपने परिवार को भरण पोषण कर रही थीं। 23 जनवरी को हलालपुर, बीरआरटीएस बस स्टैण्ड पर बस से उतरते समय दिशा सड़क दुर्घटना का शिकार हुईं। हमीदिया अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया। हालत गंभीर होने पर उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया। शनिवार सुबह डॉक्टरों ने बताया कि उनका ब्रेन डेड हो चुका है। बचने की कोई गुंजाइश नहीं है।
डॉक्टरों की सलाह पर मयंक ने दी सहमति
डॉक्टरों ने मयंक के पिता के चचेरे भाई जगदीश छवानी को बताया कि दिशा के बचने की कोई उम्मीद नहीं है। डॉक्टरों ने उनसे कहा- अगर वह दिशा के अंगदान कर दें तो कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है। जगदीश ने रुंधे गले से मासूम मयंक को पूरी स्थिति समझाई। मयंक ने अपने मामा-मामी की सहमति से मां के अंगदान के लिए सहमति दे दी। शनिवार को दिशा के सभी अंगों को निकालकर अलग-अलग लोगों में ट्रांसप्लांट किया गया।
बच्चे पर लगातार टूटा दुखों का पहाड़23 जनवरी को दिशा सड़क हादसे का शिकार हुईं। 24 जनवरी की रात उनकी सास मोहनी देवी का निधन हो गया। शुक्रवार सुबह 11 बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। अंगदान के बाद दिशा का अंतिम संस्कार किया जाऐगा ।
3 साल की उम्र में पिता की मौत और अब सड़क हादसे के बाद मां ब्रेन डेड होकर वेंटीलेटर पर है। संभालने के लिए दादी थी, लेकिन शुक्रवार शाम उनका भी निधन हो गया। 10 साल की उम्र में मयंक ने वक्त के जालिम थपेड़े झेले, लेकिन चंचल उम्र में उसकी गंभीरता लोगों के लिए मिशाल बनी। कक्षा 6 के छात्र मयंक ने अपनी ब्रेन डेड मां के अंगदान करने का निर्णय लिया। मयंक ने कहा- मां के अंगों से कई लोगों को नया जीवन मिलेगा। मरने के बाद भी मां उसे देख सकेंगी।