92 साल के वरिष्ठ अधिवक्ता के. पराशरण ने सुप्रीम कोर्ट में रखी रामलला की मजबूत दलीलें
नरेश तोमर, अयोध्या मामले में जहां सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया वहीं इस फैसले के बाद अधिवक्ता के. पराशरण का नाम भी सुर्खियों में है। अयोध्या मामले में रामलला विराजमान की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के. पराशरण वकालत को वो पितामह है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रामलला की मजबूत दलील सामने रखी। उन्होंने हाल में कहा था कि उनकी ख्वाहिश है कि उनके जीते जी रामलला कानूनी तौर पर विराजमान हो जाएं।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता के. पराशन ने पूरी ऊर्जा के साथ अयोध्या मामले में दलीले कोर्ट के सामने रखी। उच्चतम न्यायालय ने अगस्त में जब अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई का फैसला किया तो विरोधी पक्ष के वकीलों ने कहा था कि उम्र को देखते हुए उनके लिए यह मुश्किल होगा लेकिन 92 बरस के पराशरण ने 40 दिन तक घंटों चली सुनवाई में पूरी शिद्दत से दलीलें पेश की।
न्यायालय में पराशरण को बैठकर दलील पेश करने की सुविधा भी दी गई लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करेंगे। 92 बरस में जहां कोई व्यक्ति खड़ा भी नहीं हो पाता वहीं इस महान व्यक्तित्व ने हिंदू के लिए अपने इतिहास में नाम रोशन कर लिया है। भारत की सर्वोच्च अदालत में उन्होंने ऐसी ऐसी दलील रखी कि मुस्लिम पक्ष उनकी काट नहीं तलाश पाए। उनकी दलीलों के इर्द-गिर्द ही पूरी सुनवाई घूमती रही।