
पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के बाद मैदानी इलाकों में भी सर्दी ने अपना कहर बरपा ना शुरू कर दिया है ऐसे में सुबह के मुखिया योगी आदित्यनाथ खुद सड़कों पर उतरे और रात में रैन बसेरों का जायजा लिया और प्रदेश के हर जिले के अधिकारियों को सख्त आदेश दिए की रेन बसेरे में रात गुजार रहे लोगों को कोई परेशानी ना हो… लेकिन मेरठ में रैन बसेरों की क्या हालत है ये जानने के लिए हम सड़कों पर निकले और यहां हमें नगर निगम की लापरवाही की सारी हक़ीक़त सामने आ गई। क्योंकि जो व्यवस्थाएं आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं उसमें शायद ही कोई इंसान इतनी सर्दी में रात गुजार सके ।
आपको बता दें कि मेरठ महानगर में गरीब और बेघर लोगों को सर्दी से बचाने के लिए 16 रैन बसेरे बनाये गए हैं। इन रैन बसेरों की रखरखाव और सुरक्षा का जिम्मा नगर निगम का है । शुरूआत करते हैं मेरठ के बच्चा पार्क चौराहे से यह मेरठ का सेंट्रल पॉइंट है। दिन में मेहनत मजदूरी करके रात को सड़कों पर अपनी नींद पूरी करने वाले लोग सर्दी में इन रैन बसेरों का सहारा लेते हैं । आपको दिखाते हैं कि बच्चा पार्क चौराहे पर बने इस रैन बसेरे में 10 बेड पड़े हैं एक केयरटेकर भी है। लेकिन अव्यवस्थाओं का आलम नगर निगम के घोटालों की दास्तान बयान कर रहा है। आप देख सकते हैं 10 में से 3 बेड टूटे हुए है। जिन बिस्तरों को लेकर लोग सोएंगे वह बेहद गंदे और फटे हुए हैं। इसके अलावा रैनबसेरे के केयरटेकर से जब बात की तो उसने खुद माना कि लोग यहां आने से बचते हैं। क्योंकि बेहद खराब व्यवस्थाओं में लोग रात नहीं गुजार सकते।
शेरगढ़ी रैन बसेरे में…..यहाँ तो नगर निगम ने रैन बसेरे को पार्किंग बना डाला, यहाँ पर कूड़ा उठाने वाले ठेलों को खड़ा किया जाता है । इसके अलावा यहाँ पर सोने के लिए पर्याप्त मात्रा में बिस्तर भी नही हैं अगर कुछ हैं भी तो वो गंदे और फटे हुए हैं। अगर यहां की बात करें तो वो भी अपने बदहाली के आंसू रो रहा हैं। यहाँ के केयर टेकर ने भी अपने मुँह से रैन बसेरे की अव्यवस्था बयां की .
मेरठ के मेडिकल कॉलेज यहाँ पर गरीब मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। और जो उनके तिमारदार होते हैं वह रैन बसेरों में रहकर अपनी रात को गुजारते हैं। लेकिन ये क्या यहाँ पर सोने वालों के ओढ़ने के लिए रजाई तो दूर कम्बल तक नही हैं। कहीं ऐसा ना हो कि मरीज़ के तीमारदार भी इस सर्दी और नगर निगम की इस लापरवाही से खुद सर्दी के शिकार हो जाएं। सूबे के मुखिया तो गरीबों को सर्दी से बचाने के लिए खुद रैन बसेरों में जाकर वहाँ की अव्यवस्थाओं को दूर कर रहे हैं लेकिन मेरठ का नगर निगम क्यों अभी भी सर्दी में रजाई ओढ़कर कुम्भकर्णी की नींद सो रहा है।
प्रदीप शर्मा
मेरठ