राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान से अब भाजपा के समर्थकों दलों और संगठनों ने अध्यादेश के मामले पर सरकार से अपनी नराजगी जाहिर की है। विहिप और शिवसेना समेत कई हिंदूवादी संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने की मांग की है। तो वहीं मंगलवार को एएनआई को दिये अपने साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि राम मंदिर के मसला अभी न्याय प्रक्रिया पर छोड़ दिया जाएगा। इसके बाद ही अध्यादेश पर विचार-विमर्श किया जाएगा। पीएम ने कहा था कि देश की सरकार संविधान की दायरे में रहकर ही कार्य करेगी। उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद की राम मंदिर पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।
पीएम के इस बयान को लेकर विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्त्ता बहुत अधिक नाराजगी जाहिर कर रहे है। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि हमने राम जन्मभूमि पर पीएम मोदी का बयान देखा और सुना है। यह मामला 69 साल से कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला उनकी प्राथमिकता में नहीं है। अब यह सुनवाई 4 जनवरी को हो रही हैए लेकिन जिस बेंच को सुनवाई करनी थीए उसका गठन नहीं हुआ है। अब यह फिर से सीजेआई की कोर्ट में आ गया है।
सांसदों ने मंदिर निर्माण का समर्थन किया’
उन्होंने कहा, ”हम देश के ज्यादातर सांसदों से मिले। उन्होंने संसद में कानून लाकर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने का समर्थन किया है। हिंदू समाज लंबे समय से लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रहा है। संत समाज हमारे साथ खड़ा है। 31 जनवरी को धर्म संसद में संत जो निर्णय लेंगे, हम उसी पर आगे बढ़ेंगे।”
विहिप के बाद अब आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह साफ कर दिया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण होना चाहिए। अब बीजेपी के लिए राम मंदिर मुद्दा गले की हड्डी बन गया है। 2019 लोकसभा चुनाव का शंख बजने वाला है और राम मंदिर मुद्दा सबसे अहम हो चला है। विहिप और आरएसएस का दबाव तो वहीं सहयोगी पार्टी शिवसेना भी राम मंदिर को लेकर बीजेपी को नसीहत दे रही है।