
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद भवन के सभागार में स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद में सौ रुपये का सिक्का जारी किया। इस मौके पर वाजपेयी के साथ काफी लंबे समय तक रहने वाले उनके सहयोगी और वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, वित्त मंत्री अरुण जेटली, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और अटल बिहारी वाजपेयी के परिजन भी मौजूद थे। वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर को मंगलवार को सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाएगा। आपको बता दें कि पिछले वर्ष वित्त मंत्रालय ने 100 रुपए के नए सिक्के के बारे में एक अधिसूचना जारी की थी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अटल बिहारी वाजपेयी जी चाहते थे कि लोकतंत्र सर्वोच्च रहे। उन्होंने जनसंघ बनाया। लेकिन जब हमारे लोकतंत्र को बचाने का समय आया तब वह और अन्य जनता पार्टी में चले गए। इसी तरह जब सत्ता में रहने या विचारधारा पर कायम रहने के विकल्प की बात आई तो उन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भाजपा की स्थापना की।’
समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा वाजपेयी ने अपने सार्वजनिक जीवन का लम्बा समय विपक्ष में रहते हुए राष्ट्र हित से जुड़े विषयों को उठाने में लगाया। उन्होंने कहा कि सिद्धांतों और कार्यकर्ता के बल पर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इतना बड़ा राजनीतिक संगठन खड़ा कर दिया और काफी कम समय में देशभर में उसका विस्तार भी किया।
इस सिक्के का वजन 35 ग्राम और त्रिज्या (रेडियस) 2.2 सेंटीमीटर है और यह 50 पचास प्रतिशत चांदी, 40 प्रतिशत तांबा, पांच प्रतिशत निकेल और पांच प्रतिशत जस्ते से बनाया गया है। सिक्के के फ्रंट (सामने की ओर) पर बीच में अशोक स्तम्भ है, जिसके नीचे ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है। वृत्त पर बायीं ओर ‘भारत’ और दाहिनी ओर अंग्रेजी में इंडिया लिखा है तथा अशोक स्तम्भ के नीचे रुपये का प्रतीक चिह्न और अंग्रेजी के अंक में 100 अंकित है। सिक्के के पीछे की तरफ वाजपेयी का चित्र है। ऊपर के वृत्त पर वायीं ओर देवनागरी में और दाहिनी ओर अंग्रेजी में अटल बिहारी वाजपेयी लिखा है और वृत्त के निचले हिस्से में अंग्रेजी के अंकों में 1924 और 2018 मुद्रित है।
मोदी ने कांग्रेस का नाम लिए बगैर कहा, कुछ लोगों के लिए सत्ता ऑक्सीजन की तरह होती है। वे उसके बिना नहीं जी सकते। वहीं अटल जी के जीवन का लंबा समय विपक्ष में गुजरा लेकिन उन्होंने राष्ट्रहीत में हमेशा अपनी बात उठाई। उन्होंने पार्टी के विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया।