नैशनल हेरल्ड हाउस खाली कराने से जुड़ी याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने दो हफ्तों के भीतर हेरल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया है। असोसिएटेड जनरल लिमिटेड (एजेएल) ने लैंड ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी के 30 अक्टूबर को हेरल्ड हाउस के खाली करने के आदेश को चुनौती दी थी।
केंद्र सरकार ने पब्लिशर के अखबार द्वारा नैशनल हेरल्ड लीज के नियमों का उल्लंघन करने पर उसे खाली करने का आदेश दिया था। एजेएल ने की याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने 22 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए तुषार मेहता ने कहा था कि इंडियन एक्सप्रेस बिल्डिंग से जुड़ा जजमेंट इस मामले में गलत तरीके से कोड किया गया है। पब्लिक प्रोपर्टी को जिस काम के लिए दिया गया है, वह हेरल्ड हाउस में लंबे समय से नहीं किया गया। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार नेहरू की विरासत को खत्म करने की कोशिश कर रही है। इस पर मेहता ने कहा था कि यह कहना पूरी तरह गलत है क्योंकि लीज रद्द करने से पहले कई बार नोटिस जारी किया गया था।
सुनवाई के दौरान जब हाई कोर्ट ने सरकार के वकील तुषार मेहता से पूछा था कि अब जब हेरल्ड हाउस से अखबार चलाया जा रहा है तो क्या फिर भी बिल्डिंग वापस ली जा सकती है? इस पर मेहता ने कहा था कि उस बिल्डिंग से अखबार शुरू किया गया जब कार्रवाई करने और लीज खत्म करने का फैसला किया गया। एजेएल की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि दो अधिकारी नैशनल हेरल्ड हाउस के परिसर में दाखिल हुए थे, जोकि नहीं होना चाहिए था। उन्होंने अदालत के समक्ष फोटोग्राफ भी पेश किए। सिंघवी ने कहा था कि सभी प्रिंट और प्रेस का काम परिसर से हो, ऐसा जरूरी नहीं है। एक नई प्रिंटिंग प्रेस लगाई जा चुकी है।