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सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील की कीमत पर सुनवाई जारी, वायुसेना के अधिकारियों की मौजूदगी न होने पर सवाल उठाए।

सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील की कीमत पर सुनवाई जारी, वायुसेना के अधिकारियों की मौजूदगी न होने पर सवाल उठाए।

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सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को राफेल डील की कीमत और उसके ठेके की निर्णय प्रक्रिया पर सुनवाई जारी है। सरकार और याचिकाकर्ताओं के वकील शीर्ष अदालत में अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में 10 बजे से लगातार चल रही सुनवाई अब लंच के बाद 2 बजे फिर शुरू होगी, इस बीच सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कोर्ट परिसर में वायुसेना के अधिकारियों की मौजूदगी न होने पर सवाल उठाए।

गगोई ने एजी केके वेणुगोपाल से पूछा कि क्या कोर्ट में भारतीय वायुसेना का कोई अधिकारी मौजूद है जो मामले पर उठे सवालों के संदर्भ में जवाब दे सके? आखिरकार हम वायुसेना के मामले के बारे में बातचीत कर रहे हैं इसलिए हमें उनसे पूछना चाहिए। वहीं, विपक्ष को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि राफेल की कीमत के बारे में याचिकाकर्ताओं को अभी कोई जानकारी न दी जाए।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने प्रशांत भूषण की खिंचाई की है। सीजेआई ने भूषण के नोट में गलतियों की ओर इशारा किया। प्रधान न्यायाधीश की इस टिप्पणी पर भूषण ने कहा कि नोट जल्दबादी में तैयार किया गया। इस पर सीजेआई ने कहा-‘जल्दबाजी में मत पड़िए मिस्टर भूषण’। प्रशात भूषण ने अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट कंपनी बनाए जाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने दलील दी कि डील में एक ऐसी कंपनी को भागीदार बनाया गया जिसका इस क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं है।

उधर, वरिष्ठ सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील देते हुए कोर्ट से कहा कि केवल तीन परिस्थितियों में ही अंतर-सरकारी रास्तों का इस्तेमाल किया जा सकता है। भूषण ने यह भी कहा कि फ्रांसीसी सरकार की ओर से डील के सबंध में कोई सॉवरेन गारंटी नहीं थी। बता दें कि प्रशांत भूषण पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की ओर से दलील दे रहे हैं, जो राफेल डील के याचिकाकर्ताओं में से एक हैं।

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