दिल्ली में रविवार को मोटी धुंध की चादर छाई रही और इस मौसम की अब तक की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में कुल वायु गुणवत्ता सूचकांक 381 दर्ज किया गया जो बेहद खराब की श्रेणी में आता है। इस मौसम में खराब वायु गुणवत्ता का यह सबसे अधिक सूचकांक है जो प्रदूषण के गंभीर स्तर से कुछ ही नीचे है। बता दें कि 0 से 50 के बीच एक्यूआई ‘‘अच्छा’’ माना जाता है, 51 और 100 के बीच ‘‘संतोषजनक’’, 101 और 200 के बीच ‘‘मध्यम’’ श्रेणी का, 201 और 300 के बीच ‘‘खराब’’, 301 और 400 के बीच‘‘बेहद खराब’’ और 401 से 500 के बीच एक्यूआई ‘‘गंभीर’’ माना जाता है।
सीपीसीबी के डेटा के मुताबिक दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में स्थापित 12 प्रदूषण निगरानी केंद्रों में वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर जबकि 20 केंद्रों में बेहद खराब दर्ज किया गया। अधिकारियों ने हवा की गुणवत्ता में आई इस गिरावट के पीछे निर्माण कार्य से उडऩे वाली धूल, वाहनों से होने वाला प्रदूषण जैसे स्थानीय कारकों के अलावा पंजाब एवं हरियाणा से पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया।
अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में धुएं के कारण धुंध की एक मोटी चादर छाई रही और मौसम की सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई। पीएम 2.5 (हवा में 2.5 माइक्रोमीट से कम व्यास वाले कणों की उपस्थिति) की मात्रा 225 दर्ज की गई जो इस मौसम की सर्वाधिक है। पीएम 2.5 को सबसे सूक्ष्म कण कहा जाता है जो स्वास्थ्य के लिए पीएम 10 से अधिक घातक है। सीपीसीबी के अनुसार पीएम10 का स्तर (हवा में 10 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कणों की उपस्थिति) दिल्ली में 418 दर्ज किया गया। सफर ने दिल्ली के लोगों, विशेषकर ह्रदय, फेफड़ों के रोग से प्रभावित, बुजुर्गों और बच्चों, के लिए लंबे समय तक अधिक प्रदूषण वाले क्षेत्रों में नहीं ठहरने की सलाह दी है। सफर ने लोगों को लंबे समय के बजाय थोड़ी देर तक खुली हवा में टहलने, घर की खिड़कियों को बंद रखने के अलावा बाहर निकलने पर मास्क पहनने की सलाह दी है।