नई दिल्ली।
कोहिनूर हीरा आम जनता के बीच कौतूहल का विषय बना रहा है और लोग जानना चाहते हैं कि भारत को ये कीमती हीरा आखिर ब्रिटेन कैसे चला गया। इसी को लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने RTI के तहत पूछा कि क्या बेशकीमती हीरा अंग्रेजों को उपहार में दिया गया था या किन्हीं अन्य कारणों से इसे ब्रिटिश हुकूमत को दे दिया गया था। दुनिया भर में चर्चित कोहिनूर हीरा (Kohinoor) को लेकर चौंकाने वाली बात सामने आई है। इस पर पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपना जवाब दे दिया है। महाराजा दिलीप सिंह ने कोहिनूर को अंग्रेजों के ‘हवाले’ नहीं किया था, बल्कि खुद इस बेशकीमती हीरे को इंग्लैड की महारानी को ‘समर्पित’ किया था। सामाजिक कार्यकर्ता रोहित सभरवाल ने कहा कि मैंने करीब एक महीने पहले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में यह आरटीआई डाली थी। हालांकि मुझे नहीं पता था कि मेरी आरटीआई को ASI को भेज दिया गया है। अब एएसआई ने सवालों के जवाब दिये हैं।
आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि लाहौर के महाराजा ने करीब 170 वर्ष पहले इंग्लैंड की महारानी को 108 कैरेट का कोहिनूर समर्पित किया था न कि उन्हें सौंपा था। मतलब साफ है कि यह बेशकीमती हीरा गिफ्ट नहीं किया गया, बल्कि उसे लाहौर के महाराजा ने सरेंडर किया था।कोहिनूर (Koh-i-Noor) का मतलब ‘प्रकाश का पर्वत’ होता है और यह बड़ा, रंगहीन हीरा है जो 14वीं सदी की शुरुआत में दक्षिण भारत में पाया गया था।औपनिवेशिक काल में अंग्रेजों के पास चले गए इस बेशकीमती हीरे के मालिकाना हक को लेकर विवाद है औरभारत देश के अलावा करीब चार देश और इस हिरे पर अपना दावा करते है। ‘‘बेशकीमती पत्थर कोहिनूर (Kohinoor) को महाराजा रणजीत सिंह ने शाह सुजा उल मुल्क से लिया था, जिसे लाहौर के महाराजा ने इंग्लैंड की महारानी को समर्पित कर दिया’’। जवाब के मुताबिक संधि से प्रतीत होता है कि ‘‘दिलीप सिंह की इच्छा पर अंग्रेजों को कोहिनूर नहीं सौंपा गया था. संधि के समय दिलीप सिंह नाबालिग थे।’