आज सुप्रीम कोर्ट नए कानूनां पर फैसला सुनाने के लिए तैयार है। अभी सुप्रीम कोर्ट ने व्यभिचार कानून पर पर मुहर लगाते हुए स्त्री-पुरूष के विवाहेतर संबंधों से जुडी भारतीय दंड संहिता आईपीसीसी की धारा 479 पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो प्रावधान महिला के साथ गैरसमानता का बर्ताव करता हैए वह असंवैधानिक है। जो भी व्यवस्था महिला की गरिमा से विपरीत व्यवहार या भेदभाव करती हैए वह संविधान के कोप को आमंत्रित करती है। व्यभिचार रोधी कानून एकपक्षीय और मनमाना है।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने एकमत से फैसला सुनाया कि व्यभिचार अपराध नहीं है। देश के प्रधान न्यायाधीश ने व्यभिचार-रोधी कानून पर फैसला सुनाते हुए कहा कि पति महिला का मालिक नहीं है। यह कानून महिला के जीने के अधिकार पर असर डालता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि यह तलाक का आधार हो सकता है।
बीते 2 अगस्त को देश की शीर्ष अदालत में इस मामले पर सुनवाई थी। तब अदालत ने कहा था, ‘व्यभिचार कानून महिलाओं का पक्षधर लगता है लेकिन असल में यह महिला विरोधी है। पति के कहने पर पत्नी किसी की इच्छा की पूर्ति कर सकती है, तो इसे भारतीय नैतिकता कतई नहीं मान सकते।
इस कानून का एक पक्ष यह भी था कि अपराधी सिर्फ पुरुष’ हो सकते हैं और महिला सिर्फ शिकार क्योंकि केवल उस व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज का प्रावधान था, जिसने शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाए। उस महिला के खिलाफ मुकदमा नहीं होता, जिसने ऐसे संबंध बनाने के लिए सहमति दी।