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भारतीय किसान यूनियन “किसान क्रांति यात्रा” में शामिल किसान घेरेंगे अगले सप्ताह दिल्ली को

क्रांति की ज्वाला लिए भारतीय किसान यूनियन "किसान क्रांति यात्रा" शुरू

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किसान, यह एक मात्र शब्द नही हैं ना ही यह समुदाय है। यह अनदाता के रूप में पृथ्वी पर रहने वाला पीड़ित भगवान है। हां थोड़ा अजीब लग रहा होगा लेकिन सत्य बोल रहा हूं। किसी ने कहा है,कि भगवान सभी जगह नही हो सकते इसलिए उन्होंने मां को बनाया,लेकिन इस पृथ्वी पर किसान न होता तो पत्थर के बने भगवान भी भूखें रह जाते।

देश मे इस वक्त यात्राओं का दौर है कहीं कोई एस0 सी0/एस0 टी0 एक्ट में सरकार द्वारा किये बदलाव के खिलाफ यात्रा निकाल रहा है। तो कोई राजनैतिक साईकिल यात्रा निकाल रहा है। ऐसे में देश का अनदाता भी एक क्रांति की ज्वाला लिए भारतीय किसान यूनियन(अराजनैतिक किसान संगठन) के बैनर तले “किसान क्रांति यात्रा” शुरू कर चुका है। यह किसान यात्रा 23 सितम्बर से हरिद्वार से चलकर 2 अक्टूबर को दिल्ली के राजघाट पर सम्पन्न होगी।

एक वक्त था जब किसान एक मजदूर के रूप में बड़े बड़े जमीदारों की गुलामी कर रहा था। वह ना ही तो अपना पूर्ण विकास कर सकता न ही अपना जीवन स्तर सुधार सकता था। क्योंकि किसान को 84 तरह के लगान चुकाने पड़ते थे। उसके बाद किसान ने हिम्मत दिखाई और नील विद्रोह जैसे आंदोलन से शुरुआत हुई।

जैसे जैसे समय का पंहिया आगे बढ़ने लगा। चकबंदी हुई किसान को उसका मालिकाना हक मिला। यह सब भी सम्भव हो सका किसानों कि हुंकार की वजह से। जिसमें कई किसान नेताओ का महत्वपूर्ण योगदान रहा जिसमें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी कि भूमिका अतुल्य है। उसके बाद सरकारें बदली लेकिन किसान को समाज में न ही तो एक अस्तित्व मिल रहा था न ही किसान की हालत में कोई बड़ा सुधार हो रहा था।

भारत कृषि प्रधान देश है यहां की अधिक्तर जनसंख्या कृषि पर ही आधारित है। कहा जाए तो देश की रीढ़ किसान है। किसान की आवाज को बुलंद करने के लिए क्रांतिकारी धरा मुज़फ्फरनगर के गांव सिसौली से चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने “भारतीय किसान यूनियन” नाम से एक किसान संगठन को खड़ा किया। जिसके माध्यम से किसानों की बात दिल्ली कि सत्ता में बैठे लोगों तक किसान निडरता के साथ पहुंचाई जाती थी। महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में अनेक किसान आंदोलन हुए जिसमें मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को किसानों की मांगों के सामने झुकना पड़ा।

केंद्र में भारतीय जनता पार्टी व उनके सहयोगी दलों की सरकार यह दावा भले ही करती हो कि 2022 तक किसानों की आय दो गुनी हो जाएगी ऐसी पॉलिसी के साथ सरकार काम कर रही है। लेकिन सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ यदि किसानों को मिल रहा है तो क्या वजह है कि हजारों किसान आज इतनी बड़ी किसान क्रांति यात्रा निकाल रहे है?

किसान यूनियन द्वारा निकाली जा रही इस “किसान क्रांति यात्रा” में कुछ मुद्दों को गंभीरता के साथ उठाया गया है। जिसमें,

1.10 वर्ष पुराने ट्रैक्टर को सीज करने वाले NGT के आदेश पर रोक।

2. खेत की पत्ती (फसल अवशेष) फूंकने पर मुकदमा न हो।

3.सभी किसानों का कर्ज माफ हो।

4.स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट लागू हो।

5.कृषि को मनरेगा से जोड़ा जाए।

6.बीमा योजना में बदलाव।

7.लघु एवं सीमांत किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद कम से कम 5000 रुपए की मासिक पेंशन दी जाए।

8.किसानों का बकाया गन्ना भुगतान ब्याज सहित अविलम्ब कराया जाए।

9. किसानों को सिंचाई हेतू नलकूप की बिजली निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए।

NGT द्वारा NCR में आने वाले जिलों में 10 साल पुराने डीजल इंजन को सीज करने का आदेश दिया गया था। भारतीय किसान यूनियन की पहली मांग जिसमें कहा गया है कि 10 साल पुराने ट्रैक्टर व ट्यूबवेल इंजन पर यह आदेश लागू न हो। यदि लागू होता है तो सरकार यह बताएं कि एक गरीब किसान हर 10 साल बाद कैसे नए लाखों के कृषि उपकरण खरीद सकता है?

इसमें सबसे बड़ी मांग स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू कराना है। यह रिपोर्ट एम0 एस0 स्वामी नाथन द्वारा 2006 में सरकार को अपनी 5 रिपोर्ट में जमा की गई थी, जिसको आज तक किसी भी सरकार ने लागू नही किया है।

हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले स्वामी नाथन की अध्यक्षता में किसानों के हालात में सुधार करने के लिए “नेशनल कमीशन ऑफ फार्मर” का गठन किया गया। इस आयोग को ही स्वामी नाथन आयोग कहा गया। इस रिपोर्ट में 6 बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया।

1. भूमि सुधार:- जिसमें कहा गया कि जिस जमीन में कुछ नही होता वह जमीन भूमि हीन किसानों को बांट दिया जाये जिससे वह अपना जीवन स्तर बेहतर कर सकें। साथ ही कहा कि आदिवासी लोग हमेशा जंगलों के क्षेत्र में रहे है इसलिए जंगलों पर उनका ही अधिकार हो।

2. किसान आत्महत्या पर रोक:- देश में बढ़ती किसान आत्महत्या को रोकने के लिए उन्होंने कहा कि किसानों की निर्धारित MSP और लागत से 50% जोड़कर किसानों को दाम मिलना चाहिए। साथ ही राज्य स्तर पर भी किसान आयोग होना चाहिए ताकि किसान की समस्या का समाधान हो सकें।

3.सिंचाई सुधार:- किसान को सिंचाई के लिए पर्याप्त समाधान हो जिससे फसल मौसम पर निर्भर न रहें।

4. बैंक व्यवस्था:- किसानों को आम ब्याज से 4% कम ब्याज पर बैंकों से लोन व्यवस्था हो।
साथी ही मात्र 2 साल में ही किसानों पर वसूली का दबाव न बनाया जाए। यह बीते वर्षो में हुई फसल के आधार पर तय हो। आपदा कोष बने जो किसी भी प्राकृतिक आपदा के आने पर होने वाले नुकसान की भरपाई कर सकें। भूखमरी न हो जिसके लिए खाद्य सामग्री की सुरक्षा हो। साथ ही GDP का 1% कृषि पर खर्च होने की सिफारिश थी।

5. अनाज के स्टोर:- देश के हजारों टन अजान सड़ जाता है खराब हो जाता है। जिससे बचने के लिए अनाज के स्टोर बनाने की सिफारिश आयोग की रिपोर्ट में कि गयी।

6. अंतिम बिंदु में कहा कि देश में मिट्टी की जांच के लिए लेबोरेटरी बनाई जानी चाहिए ताकि मिट्टी की जांच कर यह पता लगाया जा सके कि मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कितनी है और यह मिट्टी किस फसल के लिए लाभकारी है। देश के अनेक कृषि वैज्ञानिकों का भी ऐसा ही मानना था।

इस कुछ बिंदुओं के साथ स्वामी नाथन ने सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट को दर्ज किया। जोकि अब तक कोई भी सरकार अमल में नही ला सकी। भारतीय किसान यूनियन ने किसानों के बकाया गन्ना पैमेंट को भी अपनी मांग पत्र में रखा है साथ ही कहना भी है कि सरकार 14 दिनों में पैमेंट करने की बात अपने चुनावी मेनीफेस्टो में कहती है लेकिन करती नही है। साथ ही अपनी कुछ अन्य किसानों के हित में मांग की गई है।

23 सितम्बर यानी रविवार को “किसान क्रांति यात्रा” हरिद्वार से लगभग 30 हजार किसानों के साथ 1 हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली के बीच 15 किलोमीटर लम्बे काफ़िले से चल पड़ा है। रविवार रात्रि किसानों का समर्थन करते हुए योग ऋषि स्वामी रामदेव द्वारा विश्राम व भोजन की व्यवस्था पतंजलि योगपीठ में की गई।

यात्रा की समय सारणी के अनुसार, 23 सितम्बर को पतंजलि,24 को मंगलौर,25 को बरला इंटर कॉलेज मुज़फ्फरनगर,26 नुमाईश कैम्प मुज़फ्फरनगर,27 भैंसी गांव मुज़फ्फरनगर,28 दौराला मेरठ, 29 परतापुर मेरठ,30 मुरादनगर गाजियाबाद,1 अक्टूबर हिण्डन घाट गाजियाबाद, 2 अक्टूबर को यात्रा अंतिम पड़ाव पूरा कर दिल्ली किसान घाट पर समाप्त होगी।

लेकिन 24 सितम्बर दिन सोमवार को वर्षा अधिक होने पर यात्रा में महिला व बच्चों के होने कारण आज यात्रा पतंजलि योगपीठ में ही रोकनी पड़ी। लेकिन कल सुबह यात्रा समय अनुसार निकलेंगी। यात्रा भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत व राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में निकली जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद विजयपाल सिंह तोमर का कहना है यह किसान यात्रा नही है यह राजनीति से प्रेरित है जोकि 2019 के चुनाव को नजर में रखकर की जा रही है। सरकार ने सभी फसलों के रेट बढ़ाये है।

“किसान क्रांति यात्रा” में चल रहे किसान दीपू चौधरी से मिली जानकारी के अनुसार सरकार यात्रा में चल रहे किसानों की किसी भी प्रकार से सहायता नही कर रही है। यातायात में किसी भी तरह की बाधा न बने इसलिए किसान स्वयं ही लोगो की सहायता कर रहे है।

मेरी इस पोस्ट के माध्यम से एक छोटी सी अपील है कि इस यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक धटना न हो इसलिए यात्रा में चल रहे किसान भाईओ से निवेदन करता हूं कि सविधान अनुसार हमे आजादी से अपनी बात कहने का, विरोध करने का मौका मिला है। इसको राजनिति का गुलाम न बनने दे शान्ति पूर्ण यात्रा निकाले।

आज की ये सभी बातें विचार करने के लिए इसकारण जरूरी है कि भारत में किसान स्वयं नही चाहता कि उसका बेटा भी खेती करें, क्योंकि हालात में कोई बड़ा बदलाव नही आया हैं। यदि सरकार दावें कर रही है, तो वह किसानों के बीच अभी क्यों नही आयी है? साथ ही जब एम0 एस0 स्वामी नाथन आयोग की किसान के प्रति सिफारिशों को लागू करने में आज तक कि सरकारें पीछे क्यों हट रही है? सरकार को सभी बातों पर गंभीरता से विचार करना होगा तभी जाकर भारत कृषि प्रधान देश रह सकेगा।।

यदि आप मेरी बातों से सहमत हुए तो इस पोस्ट को शेयर करें। क्योंकि मैं लिखता हूं आजाद होकर।

चौधरी नितिन रोहल(मीडिया छात्र)
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय।

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