सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी के दुरूप्रयोग को रोकने के लिए तत्काल गिरफ्तारी को रोकने का आदेश दिया था जिसके बाद पूरे देश में कई दलित संगठनों ने इसका विरोध किया। 2019 के चुनावों से पहले कहीं दलित वोट बैंक बीजेपी से नाराज न हो जाए इसलिए केंद्र की मोदी सरकार ने न्यायमूर्तीयों द्वारा दिए गए सुप्रीम आदेश को पलटते हुए फैसले से पहले की यथास्थिती को बरकरार रखने के लिए सदन से कानून पास करा दिया जिसका सभी दलों ने सहयोग दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए सदन के पटल पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संसोधन विधेयक को रखा गया जिसका सभी दलों ने समर्थन किया और दोनों सदने से अस एक्ट में बदलाव न हो ऐसा कानून पास कर दिया गया। बीजेपी को लगा सब ठीक हो गया पीछड़ो के वोटबैंक में इजाफा हो गया। विधानसभा चुवानों के लेकर बीजेपी एमपी में किला बंदी की तैयारी ही कर रही थी की इसी बीच सवर्णें ने बीजेपी को एलटीमेटम दे दिया… अगर एससी एसटी एक्ट पर दिए गए सुप्रीम फैसले को बरकरार नहीं रखा गया तो सवर्ण वो करेंगे… जो आजाद भारत में आज तक नहीं हुआ।
बीजेपी के लिए एससी एसटी एक्ट दो धारी तलवार की तरह बनता जा रहा है। सवर्ण संगठनों ने कल भारत बंद का ऐलान किया है। गवलियर, सतना, भिंड, शिवपुरी, मुरैना, छतरपुर, सागर, दतिया, नरसिंह पुर समेत कई जिलों में धारा 144 लागू कर दी गई। करणी सेना ने मामा के मुहं पर कालिख पोतने की धमकी दे डाली। मुख्यमंत्री पर जूता फेका गया, काफिले पर पथराव किया गया, कांग्रेंस के नेता दिग्विजय सिंह के काफिले का घेराव किया गया, मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को काले झण्डे दिखाए गए। मतलब साफ है कोई भी पार्टी सवर्णों द्वारा उठाए गए इस गुस्से से बची नहीं है.. और आने वाले दिनों में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है तो कोई भी इस मुद्दे पर राजनीति करने से बच भी नहीं रही हैं।
पांच राज्यों के विधानसभा चुवान और 2019 के लोकसभा चुवानों से पहले बीजेपी के लिए यह बंद गले की उस हड्डी की तरह हो गया है जिसे ने निगलते बन रहा है न उगलते। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी पहले ही दलितों का गुस्सा देख चुकी है और सवर्णों ने कल बंद का ऐलान करके उसे एक नया सर दर्द दे दिया है।