राष्ट्रपति राम नाश कोविंद ने 72वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्वसंध्या पर देश के नाम संदेश देते हुए कहा कि हमारा देश इस समय एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है और इस समय हमें निरर्थक विवादों में पड़ने की बजाए बजाए सभी को एकजुट होकर गरीबी, अशिक्षा और असमानता को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ‘आज हम अपने इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जो अपने आप में बहुत अलग है। आज हम कई ऐसे लक्ष्यों के काफी करीब हैं, जिनके लिए हम वर्षों से प्रयास करते आ रहे हैं ।’ साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि, आज जो निर्णय हम ले रहे हैं, जो बुनियाद हम डाल रहे हैं, जो परियोजनाएं हम शुरू कर रहे हैं, जो सामाजिक और आर्थिक पहल हम कर रहे हैं, उन्हीं से यह तय होगा कि हमारा देश कहाँ तक पहुंचा है।
राष्ट्रपति ने आज कहा कि देश को आजादी सभी के अधक प्रयासों से मिली थी और हमारे पूर्वज एक ऐसा देश चाहते थे जो उन्होंने कहा कि, इस संग्राम में,देश के सभी क्षेत्रों,समाज के सभी वर्गों और समुदायों के लोग शामिल थे। वे चाहते, तो सुविधापूर्ण जीवन जी सकते थे। लेकिन देश के प्रति अपनी अटूट निष्ठा के कारण,उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे एक ऐसा स्वाधीन और प्रभुता-सम्पन्न भारत बनाना चाहते थे, जहां समाज में बराबरी और भाई-चारा हो।
They came from all regions of the country, all sections of society. They could have compromised and settled for some personal benefit, but they did not. Their commitment to India – to a free, sovereign, plural and egalitarian India – was absolute #PresidentKovind
— President of India (@rashtrapatibhvn) 14 August 2018
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि, अपने देश के युवाओं में आदर्शवाद और उत्साह देखकर मुझे बहुत संतोष का अनुभव होता है। उनमें अपने लिए, अपने परिवार के लिए,समाज के लिए और अपने देश के लिए कुछ-न-कुछ हासिल करने की भावना दिखाई देती है। नैतिक शिक्षा का इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता है। शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त कर लेना ही नहीं है, बल्कि सभी के जीवन को बेहतर बनाने की भावना को जगाना भी है। ऐसी भावना से ही, संवेदनशीलता और बंधुता को बढ़ावा मिलता है। यही भारतीयता है। यही भारत है। यह भारत देश‘हम सब भारत के लोगों’ का है, न कि केवल सरकार का।