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एक अनोखा रहस्यमयी शिवमंदिर , अदृश्य भक्त ब्रह्म मुहूर्त में करता है शिव की पूजा

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मुरैना जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर पहाडगढ़ के घने जंगलों में ईसुरा पहाड़ की गुफा में बने इस शिवमंदिर में पट खुलते ही पुजारी को शिवलिंग का 21 मुखी, 11 मुखी 7 मुखी बेलपत्रों और चावल, फूलों से अभिषेक हुआ प्रतिदिन मिलता है। प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच बसे ईश्वरा महादेव का रहस्य वर्षों बाद भी नहीं सुलझ सका है ऐसा बताया जा रहा है कि ईश्वरा महादेव मंदिर पर सुबह चार बजे कोई अदृश्य शक्ति पूजा करती है इसे जानने के लिए कई प्रयाश किये गए लेकिन हर प्रयास विफल ही हुए गुफा नुमा पहाड़ के नीचे शिवलिंग पर प्राकृतिक झरने से शिवलिंग के शीर्ष पर जलाभिषेक हो रहा है और ब्रह्म मुहूर्त में कोई सिद्ध शक्ति उपासाना करती है।

पहाडग़ढ़ के जंगलों में पहाड़ों के बीच ईश्वरा महादेव का सिद्ध मंदिर बना हुआ है। बारिश के मौसम में यहां प्राकृतिक छटा देखने लायक होती हैए इसलिए यह धार्मिक स्थल के साथ अच्छा पिकनिक स्पॉट है। ग्रामीण बताते हैं की यहाँ सिद्ध बाबा ने इन पहाड़ों के बीच शिवलिंग स्थापित कर तपस्या की थी। तभी से शिवलिंग के शीर्ष पर प्राकृतिक झरना अविरल जलाभिषेक कर रहा है। यहां पुजारी ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के पट खोलते हैं,  लेकिन तब तक कोई शिवलिंग का अभिषेक कर चुका होता है। पुजारी को शिव शीर्ष पर 21 मुखी ,11 मुखी बेल पत्र,चावल और फूल चढ़े हुए मिलते हैं। लोगों का कहना है की इस मंदिर के गर्व गृह में रहस्यमयी पूजा को जानने के लिए किसी ने शिवलिंग के ऊपर हाथ रख लिया था लेकिन तभी अचानक तेज आंधी चली और फिर कुछ देर के लिए हाथ हटाया और अदृश्य भक्त शिव का पूजन कर गया लेकिन जिसने हाथ रखा था वो कोढ़ी हो गया ।

आज तक कोई नहीं जान पाया कौन करता है ब्रह्म मुहुर्त में पूजा। घने जंगलों में इस शिवलिंग की अंधेरी रात में पूजा कौन करता है इस बारे में कोई नहीं जानता। पुजारी व दर्शनार्थियों को शिवलिंग पर अपने.अपने आप बेलपत्र,  फूल,  चावल आदि चढ़े हुए मिलते हैं। अब यहां कुछ पुजारी के साथ कुछ साधु.संत भी रहने लगे हैं, लेकिन शिवलिंग की पूजा कौन करता है यह कोई नहीं जान सका।  शिवलिंग पर ब्रह्म मुहूर्त में बेलपत्र कौन चढ़ाता है इस रहस्य को कोई नहीं जान पाया। इसके बाद कई संत महात्माओं ने भी इस रहस्य को जानने की कोशिश की,  लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद ऐन वक्त पर उनको झपकी लगी और पल भर में कोई अनजानी शक्ति शिवाभिषेक कर गई। उनकी आंख खुली तो शिवलिंग पर पूजा हुई नजर आई।  कोई कहता है कि लंका के राजा विभीषण को सप्त चिरंजीवियों में से एक माना गया है,  और इस शिविलिंग की स्थापना भी उन्होंने ही कराई थी,  इसलिए माना जाता है कि वही आज भी यहां पूजा करने आते हैं।

हिंद न्यूज़ टीवी के लिए मुरेैना से गिरीराज शर्मा

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