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कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर) के नेता कुमारस्वामी का शपथ ग्रहण समारोह आपको याद तो होगा क्योंकि यही वो मंच था जिसने देश में एक नई राजनीतिक बहस को जन्म दिया था। बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ देश में तमाम विपक्षी राजनीतिक दल इसी मंच पर एकत्रित हुए थे। अब एक आरटीआई के जरिए खुलासा हुआ है कि कैसे इस शपथ ग्रहण समारोह में जनता की गाढ़ी कमाई को पानी की तरह बहाया गया। कुमारस्वामी के सात मिनट के शपथ ग्रहण समारोह पर 42 लाख रुपये केवल अतिथियों की आवभगत में खर्च किए गए। और इसमें सबसे ज्यादा एनडीए से अलग हुई टीडीपी के नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर खर्च किए गए। चंद्रबाबू नायडू की आवभगत पर 8,72,485 रुपये खर्च किए गए वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री दो लाख रुपये खर्च किए गए। इस के बाद सवाल उठने लगे है कि क्या जनता सरकार को अपना टैक्स देश में महागठबंधन के लिए देती है या देश के विकास के लिए।
एक रात में केजरीवाल ने खाया 76000 का खाना
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समारोह में शामिल होने के लिए ताज वेस्ट एंड होटल में ठहरे थे। उन्होंने 23 मई की सुबह 9:49 बजे होटल में चेक इन किया। अगले दिन 24 मई की सुबह 5:34 बजे वह होटल से चेक आउट कर गए थे। जिन दिन वह होटल में पहुंचे, उस रात को उनके इन-रूम डाइनिंग और खाने-पीने का बिल 71,025 रुपये और बेवरेज का बिल 5000 रुपये है।
ऐसे में सवाल होता है जिस राज्य में तीन बच्चीयों की मौत भूख से हुई हो उस राज्य के मुख्यमंत्री के खाने का बिल 71,025 होना अपने आप में सवाल खड़ा करता हैं।
वहीं आरटीआई के मुताबिक इससे पहले 13 मई 2013 को सिद्धारमैया और 17 मई, 2018 को बीएस येदियुरप्पा के शपथग्रहण के दौरान सरकार ने मेहमानों के रुकने का खर्च नहीं उठाया था जबकि कुमारस्वामी के शपथग्रहण में 42 बड़े नेताओं को आमंत्रित किया गया था। इन सबके ठहरने और खाने-पीने पर सरकारी धन का इस्तेमाल किया गया है। आरटीआई में इस बात की भी जानकारी नहीं दी गई है कि इन नेताओं ने ऐसा क्या खाया-पिया कि इतना लंबा-चौड़ा बिल बन गया।