एससी-एसटी एक्ट को लेकर देशभर में लगातार चर्चाओं का दौर चलता ही रहता है। ऐसे में भोपाल से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने फिर एससी-एसटी एक्ट को कटघरे में खड़ा कर दिया है। दरअसल व्यापमं घोटाले में गलत तरीके से एडमिशन लेने वाली एक छात्रा ने सहपाठी छात्र को अपनी बहन का स्कोरर बनने का प्रस्ताव दिया।
छात्र को प्रस्ताव अच्छा नही लगा और उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया, न सुनकर बोखलाई छात्रा ने पहले तो छात्र पर फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बनाकर अभद्र फोटो अपलोड करने का आरोप लगाया और जब यह भी उसे कम लगा तो बाद में छात्र को एससी-एसटी एक्ट में फंसा दिया। छात्र को 50 दिन जेल में गुजराने पड़े।
यहां तक कि सेकंड इयर का एग्जाम हथकड़ी लगा कर देना पड़ा। सदमे के कारण पिता को पैरेलेसिस हो गया। छह साल बाद कोर्ट से छात्र को अब न्याय मिला, जबकि छात्रा को पहले ही कॉलेज से निकाला जा चुका है।
मूल रूप से भोपाल निवासी डॉ. वैभव जैन एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर के छात्र थे। वैभव के वकील अजय मिश्रा के अनुसार उनकी सहपाठी नेहा वर्मा ने 2011 में वैभव को छोटी बहन पूजा का स्कोरर बनने का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद यह सारा आरोप का खेल शुरू हुआ।