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नई दिल्ली। केंद्र सरकार दलितों की हितैषी होने का चाहे जितना ढिंढोरा पीट ले, लेकिन सरकार के प्रति दलितों से लेकर उनके नेताओं तक को यह पता है कि यह सरकार दलित हितों को नजरअंदाज कर रही है।
देश में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के साथ हो रहे अन्याय के मुद्दे पर विपक्ष के बाद अब केंद्र के मंत्रियों ने भी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बाद केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने केंद्र सरकार द्वारा लिए गए फैसले का कड़ा विरोध किया है।
आठवले ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक कानून पर फैसला सुनाने वाली पीठ में शामिल रहे न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल को राष्ट्रीय हरित अधिकरण का अध्यक्ष बनाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने केंद्र सरकार से न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल को एनजीटी के अध्यक्ष पद तत्काल हटाए जाने की मांग की है।
आठवले ने कहा कि एनजीटी के अध्यक्ष पद पर न्यायमूर्ति गोयल की नियुक्ति से देश के दलित समाज में नाराजगी है। उन्होंने यह भी कहा है कि वे इस मुद्दे पर पीएम मोदी से भी मुलाकात करेंगे।
बता दे रामदास अठावले रिपब्लिकन पार्टि ऑफ इंडाया के अध्यक्ष हैं। उनकी पार्टी का एनडीए को समर्थन है।
रामदास आठवले से पहले एनडीए को समर्थन देने वाली रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी भी इस मुद्दें पर मोदी सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा चुकी है। प्रेस को संबोधित करते हुए एलजेपी नेता चिराग पसवान ने तो यहां तक कह दिया था कि मोदी सरकार द्वारा दलितों और आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर जिस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं, उससे अब एलजेपी के अंदर नेताओं में सब्र का बांध टूटने लगा है।
चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग पिछले 4 महीने से कर रही है, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। एलजेपी ने एनजीटी के अध्यक्ष पद से न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल को हटाने और अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम के मूल प्रावधानों को बहाल करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की है। इसके लिए एलजेपी ने मोदी सरकार को 9 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है।