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आरबीआई ने कहा “CASH ON DELIVERY” है गैरकानूनी, खतरे में ई-कॉमर्स

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ई-कॉमर्स यानी ऑनलाईन कारोबार का सबसे अहम पेमेंट ऑप्शन होता है कैश ऑन डिलीवरी, 2010 में शुरू हुए इस ऑपशन ने जहां ई-कॉमर्स को एक बड़ा फायदा पहुंचाया तो आज आधे से ज्यादा कारोबार इसी पेमेंट ऑप्शन से चलता है। लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक ने इसे लेकर बड़ा खुलासा किया है। दरअसल, एक आरटीआई के जवाब में आरबीआई ने ई-कॉमर्स के सबसे पसंदीदा पेमेंट ऑप्शन कैश ऑन डिलिवरी को गैरकानूनी बताया है।

आपको बता दें, फ्लिपकार्ट, अमेजॉन और दूसरे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अपने ग्राहकों से थर्ड पार्टी वेंडर्स की तरफ से सामान की डिलिवरी के वक्त कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा देते हैं। आरबीआई ने एक आरटीआई के जवाब में बताया, ‘एग्रिगेटर्स और अमेजॉन-फ्लिपकार्ट जैसी पेमेंट इंटरमीडियरीज पेमेंट्स ऐंड सेटलमेंट्स सिस्टम्स एक्ट, 2007 के तहत अधिकृत नहीं हैं’।

लेकिन इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, पेमेंट्स ऐंड सेटलमेंट्स सिस्टम्स एक्ट, 2007 के नियमों में सिर्फ इलेक्ट्रोनिक और ऑनलाइन पेमेंट का ही जिक्र है। लेकिन इसका मतलब यह नही इससे कैश ऑन डिलिवरी को अवैध ठहराया जा सके।

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