ट्रिपल तलाक पर इस समय पूरे देश में जोरदार बहस चल रही है। सब लोग अपने-अपने तर्क दे रहे हैं। गांव- गली से लेकर देश की संसद तक इस मामले में गरम है। सभी राजनीतिक दल इसको लेकर बेहद संजीदा हैं, क्योंकि यह मामला मुस्लिमों का है, जिन्हें देश में वोट बैंक माना जाता है। अगर किसी ने विवादित बयान दे दिया तो उसके हाथ से वोट बैंक खिसकने की संभावना ज्यादा बनी हुई है। और कोई एक पार्टी मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं को बांटने पर तुली हुई है।
मुस्लिम लोग जहां पर शरीयत का कानून लागू करने की बातें करते हैं। वहीं अनेक सामाजिस संस्थायें इसके विरोध में उतर जाती हैं और उन्हें भारत के संविधान का पालन करने की सलाह देती हैं।
इसी बात पर समाजवादी पार्टी के नेता रियाज अहमद ने एक अजीबोगरीब बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि तलाक तीन परिस्थितियों में दिया जाना चाहिए। जहां पर ट्रिपल तलाक व्यवस्था की गई है, उनमें एक है अगर आप अपनी पत्नी को गैर मर्द के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए देख लें, तो आप क्या करेंगे? ऐसे में आप या तो उसकी जान ले लेंगे या फिर उसे ट्रिपल तलाक देकर उससे जान छुड़ा लेंगे।
जानें- क्या है तीन तलाक
तीन तलाक मुस्लिम समाज में तलाक का ऐसा जरिया है, जिससे कोई भी मुस्लिम शख्स अपनी बीवी को सिर्फ तीन बार तलाक कहकर अपनी शादी को तोड़ सकता है। इस्लाम में तलाक की एक प्रकिया बताई गई है और इस प्रकिया से होने वाले तलाक स्थिर होते हैं, जिसके बाद शादी का रिश्ता टूट जाता है। तीन तलाक को तलाक-उल-बिद्दत भी कहते हैं।
इस्लाम में क्या है तीन तलाक
इस्लाम में तलाक देने का एक तरीका बताया गया है, जिसके तहत एक बार में पति एक ही तलाक दे सकता है। अगर कोई एक बार में एक से ज्यादा बार भी तलाक बोल दे तो उससे तलाक नहीं होगा। इस्लाम में बताया गया कि तलाक एक-एक करके दी जानी चाहिए। जिसके बीच कुछ समय का अंतर होगा और इस प्रक्रिया को अपनाकर ही इस्लाम के अनुसार तलाक हो सकता है।
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने फौरी तीन तलाक को गैरकानूनी करार देकर लाखों मुस्लिम महिलाओं की मर्यादा की रक्षा की थी। अब सरकार तीन तलाक के खिलाफ विधेयक लाकर इसे कानून का अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें एक बार में तीन तलाक कहना क्रिमिनल अपराध होगा और इस अपराध के दोषियों को तीन साल कारावास की सजा होगी।