बारिश का मौसम शरीर और मन को ठंडक देकर सुकून दिलाता है। बारिश का मौसम मे ठंडी-ठंडी हवाए, चारों तरफ हरियाली में घूमने फिरने का मजा ही कुछ और है। इस मौसम का मजा उठाने के साथ-साथ सावधानी भी रखनी चाहिए। वरना हमें बीमार होने में ज्यादा देर नही लगेगी। बारिश का मौसम में गर्मा-गरम चाय और पकौड़े, सिगड़ी पर सिके भुट्टे अलग ही मजा देते है।
वायरल फीवर
वायरल फीवर बारिश के मौसम की सबसे आम बीमारी है। बरसात के मौसम में सर्दी- जुकाम, खांसी, हल्का बुखार और हाथ-पैरो और सिर में दर्द आदि ये सब वायरल बुखार के लक्षण और इंफेक्शन होना ही है।
बचाव:- तुलसी के पत्ते , काली मिर्च और अदरक एक छोटा टुकड़ा कूटकर डेढ़ कप पानी में उबालें। छान कर चाय की तरह पीयें। इससे बहुत आराम मिलता है।
बारिश में जोड़ों का दर्द काफी बढ़ जाता है, इसके लिए एक चम्मच शहद में आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ मिलाकर दिन में एक बार लें। इसके लगातार उपयोग से जोड़ों का दर्द सही हो जाएगा।
दस्त, हैजा
दस्त लगने की समस्या अक्सर बरसात के मौसम में हो जाती है। ये खराब खान-पान से होता है। इस मौसम में ई-कोलाई , साल्मोनेला , रोटा वायरस , नोरा वायरस का संक्रमण बढ़ जाता है। जिसके कारण पेट व आँतों में सूजन और जलन होकर उल्टी दस्त आदि की शिकायत हो जाती है।
बचाव:- दस्त में दूध, घी न लेकर छाछ लेनी चाहिए। इसके अलावा उबला आलू, चावल का मांड, नींबू की शिकंजी, पका केला खाना चाहिए। पानी में नमक,चीनी मिलाकर थोड़ा-थोड़ा लगातार लेते रहना चाहिए, ताकि शरीर में पानी की कमी ना हो।
मलेरिया
बारिश में भीगने से तेज कंपकंपी छूटने के साथ तेज सिरदर्द और तेज बुखार ये सब मलेरिया के ही लक्षण है। ऐसे में फौरन मलेरिया की जांच करानी चाहिए। यदि रिपोर्ट में मलेरिया पॉज़िटिव आए तो तुरंत दवा शुरू कर देनी चाहिए।
मलेरिया होने का कारण मादा एनाफिलीज मच्छर होता है। इसके काटने से इसके अंदर मौजूद मलेरिया के कीटाणु हमारे अंदर चले जाते है। ये मच्छर बरसात के इकट्ठे पानी में पनपते है।
बचाव:- मलेरिया से बचाव के लिए पहले मच्छरों से बचाव जरूरी है। मच्छरदानी का उपयोग करें, मच्छर भगाने वाली दवाई या क्रीम का उपयोग करें। आस पास पानी इकट्ठा ना होने दें।
स्किन की समस्या
बारिश के मौसम में नमी बने रहने के कारण बैक्टीरिया आसानी से पनपते है। इसलिए त्वचा पर कई तरह के इंफेक्शन होने की सम्भावना होती है। इस मौसम में स्किन पर फोड़े, फुंसी, दाद , खाज, घमोरियां, रैशेज, फंगल इंफेक्शन आदि हो सकते है।
हवा न लगने वाली जगह त्वचा पर फंगल इंफेक्शन हो सकता है। पुरुषों को लिंग के आस-पास तथा स्त्रियों को गुप्तांग की सफाई आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
बचाव:- इन सब परेशानियों से बचने के लिए गीले कपड़े या जूते लम्बे समय तक नही पहनने चाहिए। नहाने के पानी में एंटी बैक्टीरियल दवा डालकर नहाएं। नीम के साबुन का उपयोग करें। नीम की पत्ती को पानी में उबालकर इस पानी को नहाएं। स्किन पर जहां इंफेक्शन है वहां पर एंटी फंगल क्रीम या टेलकम पाउडर लगाएं।