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खेतों में हरियाली और किसानों के चेहरे पर मुस्कान,किसानों के नेता चौधरी चरण सिंह के सपने को साकार करने के लिए वर्ष 1982 में शुरू की गई सरयू नहर परियोजना अपना आकार सरकारों की उदासीनता और धन के अभाव में तो नहीं ले सकी लेकिन अंधकार में जरूर चली गई।घाघरा व राप्ती से कई जिलों को निजात दिलाते हुए बाढ़ रोकने और लम्बी नहरों का जाल बिछाकर खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए इस योजना को अमल में लाया गया।
बहराइच,श्रावस्ती,बलरामपुर,गोंडा बस्ती,संतकबीर नगर व गोरखपुर तक 9205 किलोमीटर लम्बी नहरें बननी थीं।डुमरियागंज, उतरौला, अयोध्या व गोला में पम्प नहर बनाने के साथ-साथ 3600 नलकूपों को भी स्थापित करने का सपना है।साथ ही नौ हजार किलोमीटर ड्रेन बनाकर हर खेत तक पानी देना भी इसमें शामिल है।
12 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले खेतों में हरियाली तो नहीं बिखरी, मगर योजना धन के अभाव में फाइलों में कैद हो गई।हिस्सेदारी के तहत दस प्रतिशत प्रदेश सरकार को और नब्भे प्रतिशत भारत सरकार को धन देना था।सरकारें आई और गई लेकिन चौधरी चरण सिंह के इस सपने को साकार करने की फुर्सत किसी को नहीं मिली।
वर्ष 2010 में 72 सौ करोड़ की संशोधित परियोजना फिर बनी लेकिन धन नहीं मिला।जिम्मेदार बताते हैं कि एडवांस एंट्रीगेशन वेनफीट प्रोग्राम के तहत भारत सरकार को विश्व बैंक की सहायता से परियोजना को रूप देना है।कहते हैं कि कुछ धन परियोजना के शुरूआती दौर में अवमुक्त भी हुआ।जिसके परिणाम स्वरूप परियोजना का काम तो दोबारा ठप हो ही गया है।प्रदेश व केन्द्र सरकार धन देना भी गवारा नहीं कर रहे हैं।शुरूआती दौर में 67 करोड़ रुपये की बनी यह परियोजना अब 1100 करोड़ तक पहुंच गई है। बीजेपी के विधायक संजय सिंह ने सरयू नहर परियोजना में भ्रष्टाचार की शिकायत शासन में भी की है और मांग की है कि किसानो के खेतों में सरयू नहर का पानी जल्द से जल्द पहुंचाया जाए।
हिन्द न्यूज टीवी के लिए से बस्ती सतीश श्रीवास्तव की रिपोर्ट