You are here
Home > breaking news > बिहार में नीतीश मांगे मोर, तो क्या भाजपा और जदयू का टूट जाएगा गठबंधन?

बिहार में नीतीश मांगे मोर, तो क्या भाजपा और जदयू का टूट जाएगा गठबंधन?

नीतीश मांगे मोर, तो क्या बिहार में BJP और JDU का टूट जाएगा गठबंधन?

Share This:

पटना/नई दिल्ली। 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड अलग- अलग चुनाव लड़े थे। या यूं कहा जा सकता है कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ लड़े थे। जदयू उस समय महागठबंधन के साथ था और चुनावी तालमेल में सीटों का बंटवारा महागठबंधन में शामिल पार्टियों के साथ हुआ था। जिसमें राष्ट्रीय जनता दल, जदयू और कांग्रेस के साथ सीटों का बंटवारा हुआ था और उस समय सबको उसकी हैसियत के मुताबिक सीटें मिली थीं।

लेकिन अब नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ऐलान कर दिया है कि दिल्ली में मोदी और बिहार में नीतीश कुमार की अगुआई में लोकसभा का चुनाव लड़ा जाएगा। बिहार में जदयू की अगुआई में वर्तमान सरकार चल रही है। कहने का मतलब है कि नीतीश कुमार बड़े भाई और सुशील कुमार मोदी छोटे भाई की हैसियत में रहेंगे, तो क्या यह केवल फर्ज अदायगी है या फिर सचमुच में यह धरातल पर भी देखा जाएगा?

अगर यह सच है तो नीतीश कुमार को बड़े भाई के नाते लोकसभा की सीटें भी ज्यादा मिलनी चाहिए। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के जितने सांसद जीतकर आए हैं उनका टिकट कट जाएगा, क्योंकि नीतीश कुमार की पार्टी के केवल दो सांसद जीतकर आए हैं। जबकि भारतीय जनता पार्टी के बिहार से कुल 22 सांसद चुने गए थे, राजद के चार, लोकजनशक्ति पार्टी के 6 और 3 सांसद आरएलसपी से चुने गए थे, एक सांसद एनसीपी से और रंजीता रंजन एक मात्र सांसद हैं जो कांग्रेस से जीती थीं।

अब सवाल यह है कि जिस भारतीय जनता पार्टी के 22 सांसद बिहार से चुनाव जीतकर आए हैं। क्या वह पार्टी अपने सांसदों का टिकट काटकर जीती हुई सीट जदयू को दे देगी, क्योंकि नीतीश कुमार 25 सीटों की मांग कर रहे हैं। जबकि पिछले चुनाव में उनके पास महज दो सांसद ही चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे।

अगर ऐसा नहीं होता है तो बिहार में अगला चुनाव यानि 2019 का आम चुनाव काफी दिलचस्प होगा। हो सकता है कि जदयू और भारतीय जनता पार्टी अलग-अलग चुनाव लड़ें, क्योंकि नीतीश कुमार की जो चाहत है भारतीय जनता पार्टी जिसके पास पूर्ण बहुमत है और नरेंद्र मोदी जैसा एक चेहरा जिनके बल पर भाजपा अगला चुनाव लड़कर फिर से पूर्ण बहुमत का सपना देख रही है, क्योंकि नरेंद्र मोदी पहले ही यह कह चुके हैं कि 2024 तक प्रधानमंत्री के लिए कोई वेकेंसी नहीं है।

Leave a Reply

Top